Ministry of Heavy Industries of the Republic of India

12/09/2025 | Press release | Distributed by Public on 12/09/2025 09:00

कृषि आपूर्ति श्रृंखला में एआई का उपयोग

कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय

कृषि आपूर्ति श्रृंखला में एआई का उपयोग

प्रविष्टि तिथि: 09 DEC 2025 6:10PM by PIB Delhi

सरकार ने फसल उत्पादकता, सततता और किसानों की आजीविका में सुधार लाने तथा कृषि क्षेत्र की विभिन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) विधियों का उपयोग किया है। कुछ पहलें निम्नलिखित हैं:

  1. "किसान ई-मित्र"एक आवाज़-आधारित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित चैटबॉट है, जिसे किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और किसान क्रेडिट कार्ड से संबंधित उनके प्रश्नों के उत्तर देते हुए उनकी सहायता के लिए विकसित किया गया है। यह समाधान 11 क्षेत्रीय भाषाओं में संचालित होता है और अन्य सरकारी कार्यक्रमों में सहायता के लिए विकसित किया जा रहा है। वर्तमान में, यह प्रतिदिन किसानों के 8000 से अधिक प्रश्नों का समाधान करता है और अब तक 93 लाख से अधिक प्रश्नों के उत्तर दिए जा चुके हैं।
  2. जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले उत्पादन के नुकसान का समाधान करने के लिए, राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली में फसलों में कीटों के संक्रमण का पता लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग का उपयोग किया जाता है, जिससे स्वस्थ फसलों के लिए समय पर समाधान हो पाता है। यह टूल, जिसका उपयोग वर्तमान में 10,000 से अधिक विस्तार कार्यकर्ताओं द्वारा किया जाता है, किसानों को कीटों की फोटो लेने में सहायता करता है जिससे उन्हें कीटों के हमलों को कम करने और फसल के नुकसान को कम करने में सहायता मिलती है। वर्तमान में, 66 फसलों और 432 से अधिक कीटों के लिए यह सुविधा उपलब्ध है। सैटेलाइट-आधारित फसल मैपिंग के लिए खेत की तस्वीरों का उपयोग करके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित विश्लेषण का उपयोग बोई गई फसलों की फसल-मौसम मैचिंग मॉनीटरिंग में किया जा रहा है।
  3. इसके अतिरिक्त, खरीफ 2025 के लिए भारत के 13 राज्यों के कुछ हिस्सों में कृषि संबंधी प्रासंगिक स्थानीय मानसून शुरुआत के पूर्वानुमानों पर डेवलपमेंट इनोवेशन लैब- इंडिया के सहयोग से एक एआई-आधारित पायलट प्रोजेक्ट संचालित किया गया। एक ओपन-सोर्स ब्लेंडेड मॉडल का उपयोग किया गया, जिसमें न्यूरलजीसीएम, यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट्स (ईसीएमडब्ल्यूएफ) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फोरकास्टिंग सिस्टम (एआईएफएस), और भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) का 125 वर्षों का ऐतिहासिक वर्षा डेटा शामिल किया गया था। संभाव्य पूर्वानुमानों ने केवल मानसून की स्थानीय शुरुआत की भविष्यवाणी की, जो फसलों की बुआई की तारीख निर्धारित करने के लिए आवश्यक है। स्थानीय मानसून शुरुआत के पूर्वानुमान एम-किसान पोर्टल के माध्यम से 13 राज्यों के 3,88,45,214 किसानों को पांच क्षेत्रीय भाषाओं- हिंदी, ओडिया, मराठी, बांग्ला और पंजाबी में एसएमएस के माध्यम से भेजे गए। मध्य प्रदेश और बिहार में पूर्वानुमान भेजने के बाद किसान कॉल सेंटर्स के माध्यम से किसानों से टेलीफोन से फीडबैक ले कर सर्वेक्षण किए गए। सर्वेक्षण से पता चला कि 31-52% किसानों ने मुख्य रूप से भूमि की तैयारी और बुआई के समय में परिवर्तन के माध्यम से अपने रोपण निर्णयों में बदलाव किया, जिसमें फसल और इनपुट का चयन शामिल था।

यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने आज लोकसभा में एक लिखित जवाब में दी।

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