Ministry of Heavy Industries of the Republic of India

12/08/2025 | Press release | Distributed by Public on 12/08/2025 02:33

जल सुरक्षा ही राष्ट्रीय सुरक्षा है: भारत ने नागालैंड में मिशन वाटरशेड को आगे बढ़ाया

ग्रामीण विकास मंत्रालय

जल सुरक्षा ही राष्ट्रीय सुरक्षा है: भारत ने नागालैंड में मिशन वाटरशेड को आगे बढ़ाया


मिशन पुनरुद्धार ने पूर्वोत्तर के जल और भूमि पुनरुद्धार में नया अध्याय आरंभ किया: डॉ. पेम्मासानी

"प्रत्येक पुनर्जीवित झरना गांवों की सुरक्षा की दिशा में एक कदम; वाटरशेड विकास ग्रामीण भारत के लिए एक मौन क्रांति : राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासानी

डॉ. पेम्मासानी चंद्रशेखर ने नागालैंड के कोहिमा में राज्य स्तरीय वाटरशेड महोत्सव 2025 का शुभारंभ किया

प्रविष्टि तिथि: 08 DEC 2025 11:46AM by PIB Delhi

ग्रामीण विकास और संचार राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासानी चंद्रशेखर ने भारत की जल सुरक्षा को सुदृढ़ करने और सतत ग्रामीण विकास को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, आज कोहिमा के नागा सॉलिडेरिटी पार्क में राज्य स्तरीय वाटरशेड महोत्सव 2025 का शुभारंभ किया।

यह कार्यक्रम जल-अभावग्रस्त क्षेत्रों को जल-सुरक्षित, जलवायु-अनुकूल परिदृश्यों में रूपांतरित करने की भारत सरकार की प्रतिबद्धता में एक प्रमुख उपलब्धि है। यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व के अनुरूप है, जिन्होंने उत्तर पूर्वी राज्यों को निरंतर भारत की विकास यात्रा के केंद्र में रखा है।

डॉ. पेम्मासानी ने मिशन वाटरशेड पुनरुत्थान का शुभारंभ करते हुए रेखांकित किया कि जल सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा है। यह मिशन पारंपरिक जल निकायों को पुनर्जीवित करने, बंजर भूमि को बहाल करने, जल संचयन प्रणालियों को मजबूत करने और सामुदायिक भागीदारी तथा मनरेगा जैसी योजनाओं के साथ संयोजन के माध्यम से स्थायी आजीविका सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।

डॉ. पेम्मासानी ने कहा कि भविष्य उन लोगों का है जो अपनी प्राकृतिक नींव को संरक्षित रखते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि वाटरशेड विकास का मतलब सिर्फ जल प्रबंधन नहीं है, बल्कि ग्रामीण भारत की पारिस्थितिकी बुनियाद का पुनर्निर्माण करना, आजीविका का सृजन करना और आने वाली पीढ़ियों के लिए समृद्धि सुनिश्चित करना है।

उन्होंने कहा कि अपनी समृद्ध पारिस्थितिक और सांस्कृतिक विरासत के साथ, नागालैंड समुदाय-नेतृत्व वाले वाटरशेड प्रबंधन में अग्रणी है। यहां झरनों का जीर्णोद्धार, जल संचयन संरचनाओं का नवीनीकरण और भूमि संसाधनों का पुनरुद्धार केवल एक पर्यावरणीय प्रयास नहीं है - यह भावी पीढ़ियों के लिए जीवन रेखा है।

नागालैंड मानवीय भावना और सांस्कृतिक गतिशीलता का एक सशक्त प्रतीक है। इसकी समृद्ध परंपराएं, विविध भाषाएं, जीवंत संगीत, जटिल शिल्प और मनाए जाने वाले प्रसिद्ध त्यौहार, गरिमा और साहस में निहित एक सभ्यता को दर्शाते हैं और साथ-साथ विश्व के समक्ष असाधारण गर्मजोशी भी प्रदर्शित करते हैं। नागालैंड का अनुभव करने के लिए यह अवलोकन करना आवश्यक है कि किस प्रकार नागालैंडवासी गर्व के साथ अपनी पहचान को संजोते हैं, साथ ही एकता, परंपरा और अपनी पैतृक विरासत से अटूट जुड़ाव के माध्यम से जीवन का निरंतर उत्सव मनाते हैं।

दशकों तक, पूर्वोत्तर को राष्ट्रीय मुख्यधारा से अलग-थलग समझा जाता रहा। विकास के वर्तमान विजन के तहत, नागालैंड को अब एक दूरस्थ सीमा के रूप में नहीं, बल्कि भारत की विकास यात्रा में एक केंद्रीय भागीदार के रूप में देखा जाता है। बढ़ती कनेक्टिविटी, मज़बूत बुनियादी ढांचे और बेहतर डिजिटल पहुंच के साथ, यह राज्य पर्यटन, व्यापार, कृषि और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के केंद्र के रूप में तेज़ी से उभर रहा है। यह सिद्ध करता है कि इसकी सबसे बड़ी शक्ति इसकी गहरी विरासत में निहित है, जो भविष्य के नए अवसरों से सुसज्जित है।

पीएमकेएसवाई और वाटरशेड विकास के अंतर्गत नागालैंड में प्रमुख उपलब्धियां:

  • राज्य में 14 वाटरशेड परियोजनाओं को मंजूरी
  • 140 करोड़ रुपए स्वीकृत, जिसमें से 80 करोड़ रुपए पहले ही जारी किए जा चुके हैं
  • 555 जल संचयन संरचनाओं का नवीनीकरण
  • 6,500 से अधिक किसान लाभान्वित
  • पहाड़ी और जनजातीय क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण 120 झरनों का जीर्णोद्धार

डॉ. पेम्मासानी ने रेखांकित किया कि अन्य राज्यों के विपरीत, जहां परियोजना वित्तपोषण 60:40 केन्द्र-राज्य अनुपात पर आधारित है, नागालैंड सहित पूर्वोत्तर राज्यों को 90 प्रतिशत केन्द्रीय सहायता प्राप्त होती है, जो इस क्षेत्र में विकास को गति देने पर सरकार के विशेष फोकस को दर्शाता है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत में विश्व का केवल 4 प्रतिशत नवीकरणीय ताज़ा पानी उपलब्ध है, लेकिन वैश्विक जनसंख्या में उसकी 18 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसलिए देश को अनिवार्य रूप से प्रणालीगत जल संरक्षण और कुशल संसाधन प्रबंधन को प्राथमिकता देनी चाहिए। वर्तमान में प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता पहले से ही जल-संकट के मानक से नीचे है, ऐसे में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) और वाटरशेड कार्यक्रम कदम जैसे कि- किसानों की आय में वृद्धि, भूजल स्तर में सुधार और बहु-फसल चक्रों को सक्षम बनाना-रूपांतरकारी साबित हुए हैं।

डॉ. पेम्मासानी चंद्रशेखर ने मुख्यमंत्री श्री नेफ्यू रियो के मार्गदर्शन में नागालैंड सरकार के नेतृत्व, इसके प्रभावी कार्यान्वयन और जन-केंद्रित दृष्टिकोण के लिए सराहना की। उन्होंने जमीनी स्तर पर प्रभावशाली बदलाव लाने के लिए डॉ. जी. हुकुघा सेमा, आईआरएस और श्री जी. इकुतो झिमोमी सहित अधिकारियों के प्रयासों की भी प्रशंसा की।

जनभागीदारी के माध्यम से अधिकाधिक सामुदायिक भागीदारी की अपील करते हुए डॉ. पेम्मासानी ने नागरिकों से जल और भूमि संसाधनों के संरक्षण और सतत उपयोग में सक्रिय रूप से शामिल होने का आग्रह किया।

यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री के जल सुरक्षित भारत के विजन को साकार करने के लिए सहकारी संघवाद की भावना से केन्द्र और राज्य द्वारा मिलकर काम करने का एक सशक्त उदाहरण है।

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पीके/केसी/एसकेजे/एसके


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