Prime Minister’s Office of India

10/21/2024 | Press release | Distributed by Public on 10/21/2024 05:48

Text of PM’s address at the launch of ‘Karmayogi Saptah’ - National Learning Week

Prime Minister's Office

Text of PM's address at the launch of 'Karmayogi Saptah' - National Learning Week

Posted On: 21 OCT 2024 5:15PM by PIB Delhi

नमस्कार साथियों,

मंत्रिमंडलमेंमेरेसहयोगीश्रीमान जितेंद्रसिंहजी, कपैसिटीबिल्डिंगकमीशनकेचेयरमैन,विभिन्नमंत्रालयोंऔरविभागोंकेऑफीसर्स, अन्यमहानुभाव, औरदेशभरसेजुड़े, भारतसरकारकेसभीकर्मचारीगण, देवियोंऔरसज्जनों,

मिशन कर्मयोगी में आज हम एक और अहम पड़ाव पर पहुंचे हैं। दीवाली दरवाजे खटखटाती हो, बड़ी मुश्किल से आखिर ये Saturday Sunday मिला हो और उसमें भी ये मुसीबत झेलनी पड़े, फिर भी सब लोग हसते चेहरे से बैठे हों, तो मुझे लगता है कि कर्मयोगी मिशन अब तक तो सफल हुआ है।

साथियों,

National Learning Week मेंआपसभीकाअभिनंदनभी है और एक शुभ प्रयास भी है। 4 वर्षपहलेजबहम सबने मिलकर के मिशन कर्मयोगीलॉन्चकियाथा, तोउसमेंनएभारतकेनिर्माणकीआकांक्षाथी, एकनयाविज़न भीथाऔर हम सबके लिए एक मिशन भी था। हमारालक्ष्यथा- हमेंसरकारमेंएकऐसा human resource pool तैयारकरनाहै, जोदेशकेविकासका driving force हो!एकऐसा human resource पूल, जोकर्तव्यभावसे, औरज्यादा passion केसाथकामकरे!लाखोंलोगोंकीऐसीशक्ति, जोदेशकेसपनोंकोसमझे, उन्हेंगढ़ेभीऔरपूराभीकरे। आज 4 सालबाददेशकेलाखोंसरकारीकर्मचारियोंकोउसविज़नसेजुड़तेदेखना, इसदिशामेंआपकेयेगंभीरप्रयास, आप कल्पना कर सकते हैं कि मैं कितना संतोष का अनुभव करता हूं। और कभी -कभी मेरे लिए एक सवाल पूछा जाता है। क्या आप थकते नहीं हैं? जब ऐसा संतोष मिलता हो तो थकान प्रवेश नहीं कर सकती दोस्तों। किसीभीदेशकेसरकारीकर्मचारीजबइसजज़्बेसेकामकरनेलगतेहैं, तोउसदेशकीप्रगतिकोकोईनहींरोकसकता। आजमिशनकर्मयोगी, कपैसिटीबिल्डिंगकमीशन, औरनेशनललर्निंगवीकजैसेआयोजनइसदिशामेंबड़ीभूमिकानिभारहेहैं। मुझेआशाहै, इसएकसप्ताहमेंआपजोनयासीखेंगे, जोनएअनुभवयहाँमिलेंगे, उनसेदेशमेंऔरबेहतरकार्यप्रणालीकोबलमिलेगा। य़ेबेहतरकार्यप्रणालीहीहमें 2047 तकविकसितभारतकेलक्ष्यको पार करने की शक्ति बनेगा।

साथियों,

आपसबजानतेहैंआजादीकेसमयबहुतलोगोंकोएकबहुत बड़ीचिंताथी। चिंतायेकिअंग्रेजीहुकूमतद्वाराअपनेहितोंकेलिएबनाईगईव्यवस्था, क्याआज़ादभारतकाहितकर पाएगी?दुर्भाग्यसे, आजादीकेबादकाभारत, अंग्रेजीब्यूरोक्रेसीकेउनदबावोंसेउतनीतेजीसे बाहरनहींनिकलपाया। इस कठोर सत्य को हमें स्वीकार करना होगा। लेकिन अब हमें तेजी से उन बंधनों से मुक्ति पानी है, हमें अपना राह खुद चुनना है। प्रशासनकीजनतासेदूरी, उसकीतकलीफोंसेदूरी,पद, पावर, प्रतिष्ठाकाभाव, इससबनेपूरीव्यवस्थामेंकर्तव्योंकी priority को dilute करदिया!और इसमेंदोषव्यक्तियोंकानहीं है, आपमें से बैठे हुए किसी का नहीं है। 75 साल इस प्रोसेस से निकले हुए इस काम को चलाने वाले लोगों का भी मैं दोष नहीं मानता हूं। लेकिन एक बनी बनाई व्यवस्था थी, एक सिस्टम बन चुका था, जिसने हमें जकड़ कर रखा था। इसीलिए, पिछले 10 वर्षोंमेंहमने top to bottom, सरकारके mind-set मेंएक complete change कीशुरुआतकी। हम 'कर्तव्य' कोकेंद्रमेंलेकरआए। अपनेकर्तव्योंकाबोध, औरगुलामीकीमानसिकतासेमुक्ति, एककेबादएक, भारतनेऐसेनिर्णयलिए, ऐसीनीतियाँबनाईं, जिनसेसिस्टमकीजवाबदेहीबढ़े!इसकेलिएहमनेनएतौर-तरीकोंकोअपनाया। हमनेनएइनोवेशन्ससेउनकाप्रभावी implementation सुनिश्चितकिया। और, आजकरोड़ोंदेशवासीइसबदलावकोअनुभवकररहेहैं। येसंभवहुआ, आपकेसहयोगऔर आपकीसक्रियभागीदारीसे!येसंभवहुआ, मिशनकर्मयोगीजैसे initiatives कीसफलतासे!इसेऔरअधिक productive बनानेकेलिएआजकर्मयोगीकॉम्पीटेंसी Modelभीलॉंन्चहुआहै। मैंचाहूँगा, आपइसएकसप्ताहकेप्रोग्रामसेकेवलसीखें, बल्किअपनेअनुभवसाझाभीकरें। आपकेजोसुझावहों, जो feedback हो, उसेभीशेयरकरें।

साथियों,

विकसितभारतकेलक्ष्यकीप्राप्तिकेलिए 'whole of Government' अप्रोचकेसाथकामकियाजाना बहुतजरूरीहै। जबसरकारकेअलग-अलगमंत्रालयोंका, कर्मचारियोंकालक्ष्यएकहीहोगा, तोलक्ष्यपानाभीउतनाहीआसानहोगा। इसकेलिएकर्मचारियोंकी structured training आवश्यकहै। एकऐसीट्रेनिंग- जिसे 'whole of Government' अप्रोचकेसाथडिजाइनकियागयाहो!औरइसीलिएही, 2020 मेंमिशनकर्मयोगीकेतहत iGoT कोलॉन्चकियागयाथा।Capacity Building Commission कीस्थापनाकीगईथी। कहींभी, कभीभीसीखनेकीइससुविधानेमंत्रालयोंऔरविभागोंमें silos को खत्मकियाहै,या तो खत्म करने की शुरूआत हुई है। मुझेखुशीहैकि iGOT केतहतजो मुझे बताया गया, 40 लाखसेज्यादासरकारीकर्मचारियोंनेअपनारजिस्ट्रेशनकरवायाहै। और ये कोई compulsion नहीं है। ये स्वंय प्रेरणा से एक environment create हुआ है। और इसमें 1400 सेज्यादाiGOT पर कोर्सेसउपलब्धहैं, 1400 । मुझेखुशीहैकिसरकारीकर्मचारियोंनेलगभगडेढ़करोड़ course सर्टिफिकेटहासिलकिएहैं।

साथियों,

एकसमयथा, हमारेदेशमें Civil Service Training Institutions भी silos काशिकारथे। उनमेंआपसमेंकोईसमन्वयनहींहोताथा। कोईएकनियमनही., एक standard नहीं!हमनेइन Training Institutions केलिएभी standards तयकिएहैं। उनकेबीच collaboration और partnership कोबढ़ावादेनेकेप्रयासकिएजारहेहैं। आजयहाँइसकार्यक्रममें, देशकेकईट्रेनिंगइंस्टीट्यूट्सकीकमानसंभालरहेलोग भीएकसाथजुड़ेहैं। मैंउनसेभीकहूँगा, आपआपसमेंसंवादके proper formal channels establish करिए। एकइंस्टीट्यूटअगरकोईनईपहलकररहाहै, कोईनया idea implement कररहाहै, तोदूसरेइंस्टीट्यूट्सकोभीउसकीजानकारीहोनीचाहिए। एकदूसरेसेसीखना, अपनीजरूरतोंकेहिसाबसेनए ideas को adopt करना, येहमारीकार्यशैलीकाहिस्साहोनाचाहिए। यहीनहीं, दुनियाकेदूसरेदेशोंमेंभीअगरकोईबेहतरप्रैक्टिसहोरहीहै, तोउसपरभीहमारेयहाँचर्चाहोनीचाहिए, उसेअपनानाचाहिए।

साथियों,

आजकिसीभीक्षेत्रमेंकामकररहेलोगोंकेलिएट्रेनिंगकाएकबड़ामाध्यमटेक्नालजीहै। हमेंटेक्नालजीकीभीट्रेनिंगलेनीहै, औरटेक्नालजीकेजरिएभीट्रेनिंगलेनीहै। आपदेखिए,पिछले 10 वर्षोंमेंसरकारनेकितनीजटिलसमझीजानेवालीसमस्याओंकेसमाधानटेक्नालजीकेजरिएदियेहैं। DBT, JAM जैसेकितनेहीइसकेउदाहरणहैं। ऐसेमेंजबहमारेसरकारीअधिकारीऔरकर्मचारी technology में trained होतेहैं, तोइनप्रयासोंकेपरिणामज्यादातेजीसेमिलतेहैं। हमेंयेसमझनाहोगाकिआजजो emerging technologies हैं, कलवोसामान्यजीवनकाहिस्साहोंगी। आपअभी भलिभांति इस चीजों से aware रहें, कैसेउनकाइस्तेमालकरकेआपअपनेकार्यक्षेत्रमेंव्यवस्थाओंकोबेहतरबनासकतेहैं, आपकोइसपरभीकामकरनाचाहिए।

अब आप सब देख रहे हैं। डिजिटल revolution और सोशल मीडिया के चलते आज information equality एक norm बन चुकी है। अब AI के चलते information processing भी उतनी ही आसान होने जा रही है। यानी, ऐसी कोई जानकारी नहीं, जो सामान्य मानवी की पहुँच से, उसकी समझ से बाहर हो। सामान्य से सामान्य नागरिक भी आपके हर काम पर पैनी नजर रख सकता है। आने वाले समय में हर professional के लिए स्वयं को कठिन कसौटी पर साबित करना होगा। Authority और protocol, इनकी शील्ड से बाहर निकलकर आपको अपने काम के जरिए अपनी प्रासंगिकता सिद्ध करनी ही पड़ेगी। इसलिए, आप टेक्नालजी को अपनाएं, ये केवल देश की जरूरत है ऐसा नहीं है, अपने आपको professional बनाने के लिए भी जरूरी है। एक professional के तौर पर ये आपके करियर के लिए भी जरूरी है। यही समय है, आप स्वयं को upgrade करें। आप अपने काम के तौर तरीकों को, interaction और execution को upgrade करें। हर लोक-सेवक को 21वीं सदी की जरूरतों के मुताबिक capacity building करनी होगी। और इसमें मिशन कर्मयोगी जैसे प्लैटफ़ार्म से भारत सरकार के हर कर्मचारी को बहुत मदद मिलेगी।

साथियों,

एकसमयथा, जबसरकारीविभागोंकेनियमऔरप्रक्रियाएंअधिकारियों, कर्मचारियोंकीसहूलियतकोध्यानमेंरखकरबनाईजातीथीं। जबकि, लोकतन्त्रमेंहरविभागकाएकहीउद्देश्यहै- नागरिकोंकीसुविधाऔरसेवा!इसीलिए, आजसरकारकीप्राथमिकताहै- citizen-centric approach.यहीआपकेकामकाभीपहलापैरामीटरहोनाचाहिए। आमलोगोंकासरकारीव्यवस्थामेंभरोसाबढ़े, येहम सबकी ज़िम्मेदारीहै। इसकेलिएहमजितनालोगोंसेकनेक्टकरेंगे, उतनाहमारी कार्यशैली भी productive बनेगी। अपने-अपनेडिपार्टमेंटमेंआपकोफीडबैक mechanism बनानेपरभीविचारकरनाचाहिए। आपकेऑफिसमेंलगे suggestion box कोगंभीरतासेलियाजाए, जरूरीजानकारियाँनोटिसबोर्डपरउपलब्धहों,येसारी बातें बहुतजरूरीहै। आपको अपनेविभागोंमें innovative thinking और solutions कोप्रमोटकरनाचाहिए। येजरूरीनहींहैकिनए ideas केलिएआपकेवलसरकारीदायरोंमेंहीसीमितरहें। गवर्नेंसमेंनएआइडियाजकेलिएआप research institutions की, स्टार्टअप्सऔर youngsters कीमददभीलेसकतेहैं। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि consultancy एजंसियोंको book कराकर के गाड़ी चलाना। इसका मतलब ये नहीं है कि department को outsource कर देना। आपऔरआपकीटीमनए skill develop करे, इसपरफोकसऔरबढ़ाएं। Human resource का efficient management कैसेहो, इसपरभीज्यादाकामकरनेकीजरूरतहै।

साथियों,

आपकेऊपरकेवलव्यवस्थाओंकोदुरुस्तकरनेकीहीज़िम्मेदारीनहींहै!आपकोजनताकाविश्वासभीजीतनाहै। पहलेसरकारोंकीपहचान policy paralysis सेथी। और, सरकारीविभाग, सरकारीअधिकारी, येफ़ाइलोंकेफंदेकेलिएजानेजातेथे। फाइलघूमरहीहोगी, फाइललटकीहोगी, फाइलअटकीहोगी, फाइलउसअफसरकेयहांदबीहुईहै, आमलोगोंमेंब्यूरोक्रेसीकीयहीएक definition हुआ करती थी। अबसमयहै, आपकोइसलीगेसीकोबदलनाहोगा। ब्यूरोक्रेसीकेप्रतिजनताकीधारणाबदलनेकेलिएहमेंफाइलोंसेबाहरनिकलनाहोगा। इसलिएमैंकहताहूं, कि फाइलोंसेअलगभीएकलाइफहोतीहै।

और साथियों,

कहीं इन फाइलों के ढेर लाइफ को दबोच न दे, लाइफ पर फाइलों के ढेर का दबाव न हो, लाइफ फाइलों के नीचे दम तोड़ दे, मैं समझता हूं कि लोकतंत्र का सार्थक प्रयास नहीं हो रहा है। इसलिएमैंचाहूँगा, National Learning Week मेंहरअधिकारीखुदकेलिएएक टार्गेटतयकरे, वोजनताकीसमस्याओंसेजुड़ेकितनेकामफाइलोंकेचक्करकेबिना,वो सारी परिभ्रमण से बाहर निकलकर के उसको निपटासकतेहैं। जैसेहमइससमयसरकारमेंपेपरलेसऑफिसकोबढ़ावादेरहेहैं, वैसेहीआप least file system कोबढ़ावादीजिये। हमारेइसअभियानमेंसभीमंत्रालयोंऔरविभागोंकीभूमिकाबहुतमहत्वपूर्णहै।

साथियों,

आपजानतेहैं,आजगाँव-गरीब, किसान-मजदूर, महिला-युवादलित-पिछड़ाऔरआदिवासी, ये देशकीपहलीप्राथमिकताहैं। येसभीवर्गतभीआगेबढ़ेंगे, जबहमअपनेक्षेत्रमें, अपनेविभागमेंइनकीसमस्याओंकेसमाधाननिकालेंगे। इसलिए, आपजिसपॉलिसीयाप्रोग्रामकेसाथजुड़करकामकररहेहैं, उसेसमावेशीबनाएं, Inclusive बनाएं। आपकेकामसेइनवर्गोंकेजीवनमेंकितनाअंतररहाहै, आपसबसेपहलेखुदहीइसकाआकलनकरें।

साथियों,

लोगसंकटकेसमयसबसेज्यादासरकारकीजरूरतमहसूसकरतेहैं। प्राकृतिकआपदाजैसीपरिस्थितियाँकभीभीचुनौतीखड़ीकरसकतीहैं।कोविडकासमयगुजरेअभीकुछहीसालहुयेहैं!आपसबनेअनुभवकियाहोगा, आपदासेनिपटनेमेंआपदाकेसमयकीतैयारियांउतनीप्रभावीनहींहोतीं!जितनाहमपहलेसे prepared होतेहैं, उतनाहमनुकसानकोकमकरपातेहैं। आजकोस्टलइलाकोंमेंतूफानजैसेहालातोंमेंलगातारयेसाबितहोरहारहाहै। Readiness, येभारतके disaster management कीसबसेबड़ीताकतआज बनता जा रहा है। आपकोभीअपनेक्षेत्रोंमेंहमेशाआपदाकीकिसीभीस्थितिकेलिएतैयाररहनाहोगा। इमरजेंसीकीस्थितिकेलिएहमें resilient response system तैयारकरनेपरध्यानदेनाचाहिए।

साथियों,

समयकेसाथपरिस्थितियाँबदलेंगी, चुनौतियाँबदलेंगी। लेकिन, आपकीसर्विसमेंजोचीजहमेशापैरामाउंटरहेगी, वोहै- आपकासेवाभाव, आपकीकर्तव्य-निष्ठा!यहीआपकीसबसेबड़ीताकतहैं। इसकार्यक्रममेंसरकारकीनीतियांआपकोदिशादिखाएंगी, लेकिनइसेधरातलपरउतारनेकीशक्तिआपकोमिशनकर्मयोगीसेमिलेगी। येमिशनआपमेंजिम्मेदारीकीभावनापैदाकरेगी। मुझेभरोसाहै, कुछनयाकरनेकीअपनीसोचसेआपदेशकेलिएएकलीगेसीजरूरबनाकरजाएंगे। आपकाहरप्रयास, भारतकोविकसितहोनेमेंमददकरेगा।

और साथियों,

जब हम इतना बड़ा मिशन लेकर चल रहे हैं। अब जैसे learning beach है, कभी इस प्रकार के एक संगठित प्रयास ज्यादा उपकारक होते हैं। मैं अपना एक अनुभव जरूर शेयर करूंगा आपको। मैं जब गुजरात में था तो मैं एक regular कार्यक्रम चला था - वांचे गुजरात। वांचे मतलब किताब पढ़ना। क्योंकि आजकल ज्यादातर हमारी नई जनरेशन किताब से दूर और गूगल गुरू के चरणों में ही शिक्षा ले रही है। तो उसको इससे जोड़ना जरूरी था। तो मैं एक अभियान चलाता था वांचे गुजरात। और वो इतनी प्रतिष्ठा मिल गई थी उसको, आप यानि किसी को भी सुन कर आश्चर्य होगा। गुजरात के किसी भी गांव की कोई भी पब्लिक लाईब्रेरी, स्कूल कॉलेज की लाईब्रेरी, एक भी किताब वहां मौजूद नहीं होती थी। इतनी उसकी मांग बढ़ जाती थी। इतना ही नहीं, मैं Chief Minister था, तो भी मुझे कभी-कभी Guardians मेरा contact करते थेकी कोई सोर्स हो, मेरे बच्चे को पढ़ने के लिए 4 किताब कहीं से मिले देखों ना। यानि पब्लिक में इतना बड़ा momentum होता था, और मैं देखता था कुछ बच्चें उस कार्यक्रम के दरमियाण, 30 दिन चलता था कार्यक्रम। 30-30, 40-40 किताबें पढ़ी होती थी। ये यानि पागलपन छा जाता था। और सिर्फ किताबें यानि रट ली या पढ़ ली ऐसा नहीं। बाद में उसका Viva होता था, पूछा जाता था, तुमने 30 किताबें पढ़ी बताओ भई। और उसमें भी वो बच्चें बाहर निकलकर के आते थे। और लाईब्रेरी की साफ-सफाई होती थी वो तो हमारा स्वच्छता का कार्यक्रम हो ही जाता था। लेकिन अपने आप में एक बहुत बड़ा, मैं स्वंय भी उन दिनों कुछ समय लाईब्रेरी में जाकर के पढ़ता था। ताकि एक मेरा भी उन सबसे जुड़ाव है।

मेरा कहना है कि लर्निंग वीक के साथ विभाग अपना डिपार्टमेंट जो भी हो, या एक कमरे में जितने लोग बैठते हों, पांच लोग हो गए, सात लोग हो गए, क्या आप भी अपने उस viva की तरह ये learning experience को शेयर कर सकते हैं एक आद घंटा निकालकर के चर्चा, और तीन चार दिन हर व्यक्ति अपने सात दिन का अनुभव 30-40 मिनट में detail में बताएगा की मैंने ये ये चीजें देखीं, ये ये चीज सीखा, ये तब फायदा होगा। सिर्फ आप उसका करकर के छोड़ देंगे तब फायदा नहीं होगा। बहुत सी बातें ऐसी होती हैं कि विचार जब सामुहिकता की कसौटी से कसा जाता है, तो विचार कभी-कभी मंत्र बन जाता है। और इसलिए विचार को हमनें कसना चाहिए, बाल की खाल उधेड़ लेनी चाहिए। इसमें क्या था, क्यों था, क्या जरूरत थी। खुले मन से चर्चा होनी चाहिए। उसमें से जो अर्क निकलेगा ना, वो जड़ीबूटी बन जाता है साथियों। वो हमारी व्यवस्था की एक बहुत बड़ी औषधी बन जाता है। और ये हमारा प्रयास रहना चाहिए। उसी प्रकार से आखिरकार ये जब इसकी कल्पना मेरे मन में चल रही थी कि भई यहां बदलाव की बहुत जरूरत है।

ये सही है कि सरकर में ट्रेनिंग का मतलब होता है उसको उस विषय का नॉलेज हो, जिस डिपार्टमेंट में काम करता है। उसे फाइल की गतिविधियों का अता पता हो। Subject का drafting, noting इसकी विषय में ज्ञान हो। उसके rules regulations उसका ज्ञान हो। मैं समझता हूं ये अनिवार्य है उसके बिना तो गाड़ी चलेगी नहीं। लेकिन ये बहुत अधूरा है। जब तक purpose of life, purpose of mission, purpose of service, ये हमारी रगों में, हमारी जहन में, हमारी thought process के केंद्र में नहीं होगा, तो करियर के लिए किए गए काम करियर तो बना देंगे लेकिन लीगेसी नहीं छोड़ पाऐंगे। और इसलिए आवश्यकता है कि जो भी हमारा कर्मयोगी मिशन है उसमें purpose of life, आखिर मैं क्यों आया हूं जी? क्या दो टाइम रोटी खाने के लिए इतनी बड़ी व्यवस्था का मैं हिस्सा बना हूं नहीं, हमें बदलाव लाना होगा।

मैं जानता हूं साथियों आपमें से वो बहुत लोग हैं शायद रिटायरमेंट की तैयारी में लगे होंगे, पांच साल, कोइ दस साल, गिनते होंगे। लेकिन उन पिछले दिनों देखें तो हमारी सरकारें चलाने का तरीका क्या था? और वो गलत था ऐसा मैं नहीं कह रहा हूं। लेकिन तरीका ये था कि भई 2011 में किया, 2012 में उसी तरह ज्यादा करेंगे। 2012 में किया, 2013 में और ज्यादा करेंगे। पहले इतना किया अब जरा इतना बढ़ेंगे। मैं समझता हूं कि 75 साल की यात्रा में बीते हुए कल को मानकर के चलना शायद आवश्यक भी होगा, मजबूरी भी होगी, कठिनाईयां भी होगीं, लेकिन अब हमें बीते हुए दिनों के संदर्भ में नहीं बढ़ना है। अब हमें 2047 कहां पहुंचे, अब कितना बाकी है, कितना जल्दी जाना है, बीती हुई कल नहीं, आने वाली कल को लक्ष्य लेकर के अपने टारगेट तय करने चहिए। ये बहुत बड़ा paradigm shift है जी। बीते हुए कल के सहारे गुजारा करने के वो दिन थे। शायद मैं भी होता तो मुझे उस दिशा में चलना पड़ता। लेकिन अब हम उसे बाहर निकल चुके हैं और अब और ताकत लगानी है, कि नहीं अगर 75 साल में यहां पहुंचा हूं, 2047 तक इसी गति से मैं चला तो मेरा देश विकसित भारत नहीं बन सकता है। मुझे तो 2047 की ये टारगेट है, इन 365 दिन में मुझे ये काम करना पड़ेगा, अगर 365 दिन में ये काम करना है तो मेरे पास जो 50-48-40 वीक जो वर्किंग वीक मिले हैं। मुझे इतना काम करना होगा, मतलब मुझे एक दिन में इतना काम खीचना पड़ेगा, मतलब की मेरा एक-एक घंटा 2047 की गति को ताकत देने वाला बने, ये मेरे दिमाग में समय चक्र चलना चाहिए। बीते हुए कल के सहारे नहीं जीना है दोस्तों। जो लक्ष्य और जो सपना लेकर के चलता है ना वो उस दिशा में चलता है।

साथियों,

मैं जानता हूं iGOT information का खजाना है। और आपको जो चाहिए वो information है। ऐसा नहीं है कि इधर उधर से बहुत खोज खाज के निकालने पड़े। एक प्रकार से नॉलेज का पूल है। लेकिन क्या साथियों, विषय का ज्ञान होने से हम सचमुच में कर्मयोगी हो सकते हैं क्या?ज्ञान की कमी शायद हमारे शास्त्रों से पढ़ते आए हैं हम, कोई कमी नहीं रही हमारे देश में। लेकिन महाभारत से एक सबक है जी, महाभारत में कहा गया है, और मैं समझता हूं वो सबसे बड़ा एक turning point था। जानामि धर्मं न च मे प्रवृत्तिः । मैं धर्म को जानता हूं लेकिन मेरी वो प्रवृत्ति नहीं है और प्रवृत्ति नहीं है वही तो युद्ध को जन्म दे देती है । पूरी यात्रा उसी से आगे राह बदल जाती है, और जो युद्ध तक पहुंच जाती है विनाश तक पहुंच जाती है। अगर मुझे कर्मयोगी के नाते iGOTके प्लेटफॉर्म से नॉलेज मिलता है। जानामि धर्मं, मुझे पता है क्या है, क्या नहीं करना है, कैसे करना है, नियम क्या है, सब मालूम है। लेकिन मेरी वो प्रवृत्ति नहीं है, तो ये ज्ञान निरर्थक है दोस्तों, और इसलिए हमें प्रवृत्ति बनाना होगा और प्रवृत्ति तब बनती है, जब वृत्ति से ट्राई होती है, और जो चीज वृत्ति से ट्राई होती है उसको प्रवृत्ति में पलटने से देर नहीं लगती है। क्या मेरी ये वृत्ति बन रही है, ये मेरा पेशन बन रहा है। तब जाकर मैं iGOTसे जब जुड़ता हूं, तो मेरे दिमाग में कोर्स नहीं है, मेरे दिमाग में सर्टिफिकेट कब मिलेगा, कितने घंटे ये कंप्यूटर पर माथा पच्ची करनी पड़ेगी, यार ये जल्दी पूरा हो जाए, मार्क्स आ जाए, मैं निकल जाऊं, तो मित्रों हो सकता है कि मैं बहुत सारे सर्टिफिकेट्स का ढ़ेर इकट्ठा कर लूंगा। मेरे बच्चों की ऊंचाई से भी ज्यादा वो सर्टिफिकेट का ढेर हो जाएगा। लेकिन उन ढेर बच्चों को खड़ा कर दिया तो बच्चा बड़ा नहीं बनेगा दोस्तों। बच्चा पढ़ाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है, तब जाकर के बनता है। हमें कोशिश वो करनी होगी।

मैं नहीं जानता हूं iGOT प्लेटफॉर्म और क्या चीजें हैं। लेकिन कुछ अगर iGOT में सोचा जाए कुछ चीजों पर, जैसे आप देखते हैं कि आजकल सोशल मीडिया और इतना बड़ा नॉलेज शहरी की दुनिया है तो executive diet chart होता है आज का, और बहुत लोग उसको फोलो करते हैं। कि अगर club में जब मिलते हैं शाम को जरा पार्टियों में तो एक चर्चा जरूर करते हैं । मैं फलाना executive plan को follow करता हूं। और फिर dining table पर तोड़ देता है, लेकिन चर्चा में जरूर कहता है। कि मैं फलाने executive diet chart! क्या iGOT ने जो हमारे साथियो को वो भी मदद करें, कि भई आपकी ये जिम्मेदारी है, तुम ड्राईवर हो तो तेरे लिए ये diet chart बहुत जरूरी है। वो भी देखे, पढ़े उसको लगे हां यार iGOT पर जाऊंगा तो काम हो जाएगा। तुम uniformed service में हो, तनाव से जिंदगी गुजारनी पड़ती है हर moment कहीं से तो ये मेसेज आएगा अलर्ट, दौड़ना पड़ता है। तो तेरा diet chart वो नहीं चलेगा, Principal Secretary का होता है। Diet chart अलग होगा। यानि क्या हम ऐसी कोई व्यवस्था उस पर खड़ी कर सकते हैं।

उसी प्रकार से हम yoga in general ठीक हैं करें, करते भी होंगे कुछ, और कुछ लोग उसकी चर्चा भी करते होंगे। लेकिन कोई उससे अछूता नहीं रहता है क्योंकि आजकल वो center point में है, चर्चा में है। लेकिन क्या ऑफिस में ही, अगर आप कंप्यूटर ऑपरेटर हैं तो इस प्रकार का तो एक professional hazard होता है। Professionally आपको कुछ शारीरिक तकलीफ आनी ही आनी है। तो आप अपनी चेयर पर बैठे-बैठे, जैसे आप हवाई जहाज में यात्रा करते हैं, और लंबी यात्रा होती है तो वो आपको instruction करता है थोड़ा पैर हिलाओ, जरा ऊंचा-नीचा करो, थोड़ा ये करो, बताते हैं। क्या हम भी iGOT पर उनको educate कर सकते हैं। कि भई तुम्हारी नौकरी इस प्रकार की है। तुम इस प्रकार के चेयर पर बैठते हो। चेयर पर बैठे-बैठे पांच मिनट तुम ऐसे निकालो। हो सकता है कि धीरे-धीरे उस कमरे में बैठे हुए वो सब लोग साथ कर सकते हैं। तो उसमें से एक सामूहिकता और दूसरा स्वास्थ का सामूहिकता की ताकत बहुत बड़ी होती है।

आप आमतौर पर घर में मां या पत्नी कितना ही बढ़िया खाना बनाती हो, और आप खाना खा रहे हैं, ऑफिस जाने का टाइम है या नहीं है, जो भी शाम को आए, वो परोसती है, तो लेकिन फिर भी आप नहीं जी बहुत हो गया, नहीं-नहीं, नहीं-नहीं ऐसा करते हैं। बहुत दो रोटी खाते हैं। दो ही से मन भर जाता है, पेट भी भर जाता है। लेकिन ऐसे ही चार यार दोस्त बैठे हैं टेबल पर, कोई परोसने वाला नहीं है, कोई आग्रह करने वाला नहीं है, लेकिन आपको पता भी नहीं होगा दो की बजाय चार रोटी कब चली गई, पता तक नहीं चलता है, सामूहिकता की ये ताकत होती है। और इसलिए ये आपके learning experience के साथ कुछ सामूहिकता जुड़ना बहुत जरूरी है। और जिस कमरे में 5-7-10 अफसर बैठते हैं, 20 अफसर बैठते हैं उनके बीच में इस iGOT को लेकर के कोई सामूहिक इवेंट प्रतिदिन 5 मिनट, 10 मिनट या सप्ताह में एक दिन कुछ तो भी हम प्लान कर सकते हैं, हम सोचें।

दूसरा हम हर साथी को उसके choice के अनुसार iGOT पर जो कोर्स करना है करे, करे। लेकिन हर विभाग या उस जो कोई भी छोटी सी एक यूनिट का जो Joint Secretary होगा, Director होगा, उसके साथ में अगर 20-25 लोग काम करते हैं, या मान लीजिए पूरे में 50 लोग काम कर रहे हैं। तय करें की भई नवंबर महीने के 1st week में हम सब यही कोर्स करेंगे! 2nd week में यही कोर्स करेंगे। उसे निश्चित करिये। बाकि जो 10 कोर्स करने हैं। ये तो करेंगे ही करेंगे। और फिर जो सामूहिक रूप से तय किया गया कोर्स उसकी सामूहिक चर्चा करेंगे। देखिए आपने सटिर्फिकेट पाने के लिए किया हुआ कोर्स और तय किये हुए विषय की वही कोर्स और फिर उसकी चर्चा आपकी व्यवस्था में परिवर्तन का कारण बनेगी। और इसिलए मैं चाहता हूं इस learning modules में बहुत सी नई चीजों को जोड़ने की आवश्यकता है।

मुझे एक हमारे नौजवान मित्र ने बहुत बढ़िया बात बताई, और मुझे अच्छी लगी तो मैं जरूर आपको भी कहना चाहूंगा, उसने कहा कि हमारे यहां एक कॉमन वर्ड है सरकारी मशीनरी। अब यूं आदत हो गई है, हम यूं बोलते हैं भई सरकारी मशीनरी, सरकारी मशीनरी, सामान्य मानवी बोलता है सरकारी मशीनरी। अरे भई तुझे मालूम है जब मशीनरी है तो overhauling जरूरी है कि नहीं है, साफ सफाई जरूरी है की नहीं है, upgrade करना जरूरी है कि नहीं है। इतना ही नहीं कितना ही अपडेट रखिये मशीन को, कितना ही साफ सुथरा रखिये, लेकिन जब तक उसमें lubricating व्यवस्था नहीं है, वो चलना नहीं है। बहुत सारे डिपार्टमेंट इसलिए जकड़कर के बैठ गए हैं कि उनके बीच में कोई lubricating व्यवस्था नहीं है, और lubricating व्यवस्था के लिए उस विभाग का एक elder person हो, वो जरा संभाले कभी हाथ कंधे पर रखकर पूछे अरे क्यों भई कुछ उदास नजर आ रहे हो, क्या भई शाम को जल्दी जाना है, बेटे का जन्मदिन है, अरे जाओ भई जल्दी जाओ, कल काम कर लेंगे, मैं तेरा काम कर लूंगा, तुम जाओ। ये lubrication होता है दोस्तों। सरकारी व्यवस्था निर्जीव नहीं हो सकती। ये मुर्दों का ढेर नहीं है दोस्तों, ये 140 करोड़ सपनों को जीने वाला जिंदादिल समूह है। और इसलिए अगर ये मशीनरी हैतो उसमें लगातार उसकी साफ सुथरा होना उसकी overhauling होना, उसका lubricating ठीक है कि नहीं है, ये लगातार करते रहना होता है और testing भी करना होता है जी।high चलना ऐसा नहीं है testing करना होता है।

साथियों,

इन दिनों जमाना है AI का। हर कोई AI की चर्चा करता है, लेकिन भारत को AI से competition करनी है। सिर्फ भारत को AI का उपयोग नहीं करना है। हम सबके लिए बहुत बड़ी चुनौती है AI । दुनिया के लिए AI अवसर होगा, हिन्दुस्तान के लिए AI चुनौती है। और AI की AI से चुनौती है। AI का AI की कसौटी पर सवाल या निशान है। वो कौन से दो AI हैं। एक AI को तो दुनिया जानती है लेकिन दूसरे AI को मैं भलिभांति जानता हूं, और आपको भी बताऊंगा तो आपको भी लगेगा हां यार ये भी तो AI है, और वो है Aspirational India. Aspirational India ये मेरा सबसे बड़ा AI है और इसलिए मुझे एक तरफ मेरा AI है Aspirational India, और दूसरी तरफ मेरा AI है जो मार्डन टेक्नोलोजी को लेकर के आया है। Artificial Intelligenceको लेकर केमैं समझता हूं कि हमनें इन दोनों को संतुलित रूप से स्वीकार करना होगा, और हमें हमारे लिए तवज़्ज़ो है Aspirational India. उसकी भलाई के लिए AI का उपयोग, अगर ये हम बड़ी खुबसूरती के साथ उसको knit कर सकते हैं Aspirational India के साथ मैं इन व्यवस्थाओं को जोड़ता हूं, तो मैं कितना बड़ा बदलाव ला सकता हूं, इसकी आप कल्पना कर सकते हैं।

साथियों,

Saturday है, छुट्टी का दिन है, दीवाली का दिन सामने है लेकिन ये मेरे लिए बहुत करीबी विषय है। मैं हमेशा मानता हूं कि व्यक्तित्व के विकास के लिए और व्यवस्थाओं के परिणामकारी बनने के लिए ये निरंतर शिक्षा बहुत अनिवार्य है जी। Upgradation बहुत आवश्यक है, उसी का एक संगठित प्रयास है, यही पूर्ण है ऐसा मैं नहीं कह रहा हूं, एक प्रयास है। हम इसको जितना ज्यादा जानदार बनाएंगे, जितना ज्यादा शानदार बनाएंगे और जितना ज्यादा नागरिक केंद्रीय बनाएंगे, हमारी खुशियों का भी पार नहीं रहेगा, हमें भी जीवन में एक नया संतोष मिलेगा, और ये संतोष ही तो नई ऊर्जा देता है, जो कभी थकने नहीं देता है, जो कभी थकान को प्रवेश करने नहीं देता है। रोज नए सपने को जन्म देता है, हर सपना एक संकल्प को लेकर के आता है और हर संकल्प सिद्धी प्राप्त करने के लिए परिश्रम की आकांक्षा पैदा कर देता है। और आधानिष्ठ, एकनिष्ठ समर्पित भाव से किया हुआ समर्पण उस परिश्रम परिणाम पर लाकर के छोड़ता है।

इसलिए साथियों मैं आपसे आग्रह करता हूं। देश भर के मेरे साथी जो आज मुझे सुन रहे हैं, मैं आपसे आग्रह करता हूं, हमारे पास वक्त बहुत कम है दोस्तों। 2047 आजादी के 75 साल में जो किया है उससे ज्यादा करना है। दुनिया के सामने डंके की चोट पर एक Developed Country के रूप में खड़े होना है दोस्तों। जो मिजाज आजाद होकर के रहने का था, जो मिजाज आजादी प्राप्त करने का था, उस मिजाज के समय हम पैदा नहीं हुए थे। आजादी के उस स्पिरिट के समय हम पैदा नहीं हुए थे, लेकिन स्वराज की इस बेला में हम एक समृद्ध भारत के लिए जरूर पैदा हुए हैं। हम उस सपने को लेकर के चलें, उसी मिजाज को जियें, हम परिणाम को प्राप्त करें, इसी अपेक्षा के साथ मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं, बहुत बहुत धन्यवाद।

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MJPS/VJ/DK




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