12/20/2025 | Press release | Distributed by Public on 12/20/2025 09:11
केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री श्री मनोहर लाल ने आज मध्य प्रदेश के भोपाल में स्वच्छ सर्वेक्षण के 10वें संस्करण के लिए टूलकिट जारी किया।
विश्व का सबसे बड़ा शहरी स्वच्छता सर्वेक्षण, स्वच्छ सर्वेक्षण (एसएस), एक दशक पूरा कर चुका है। एसएस केवल एक वार्षिक सर्वेक्षण नहीं बल्कि एक शक्तिशाली प्रबंधन उपकरण है। कचरा मुक्त शहर बनाने के उद्देश्य से यह परिवर्तन को गति दे रहा है।
इस वर्ष स्वच्छ सर्वेक्षण का विषय है: स्वच्छता की नई पहल - बढ़ाएं हाथ , करें सफाई साथ । नगर आयुक्तों और अन्य राज्य प्रतिनिधियों सहित सभी राज्य और शहरी स्थानीय निकायों ने आभासी माध्यम से इस शुभारंभ में भाग लिया।
शहरों के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देते हुए, स्वच्छ सर्वेक्षण ने स्वच्छता के लिए मैट्रिक्स को परिभाषित किया है। इसने मूल्यांकन मापदंडों की बेंचमार्किंग, स्वच्छ शहर के लिए रोडमैप बनाने, स्वच्छ शहर बनने के लिए कदम और घटकों और अंततः जमीनी स्तर पर दिखाई देने वाली स्वच्छता के माध्यम से स्वच्छ शहरों को सक्षम बनाने में मदद की है। पिछले 10 वर्षों में, स्वच्छ सर्वेक्षण सहयोग और सामूहिक जिम्मेदारी के एक उल्लेखनीय उदाहरण रहा है, जो स्वच्छता को जीवन शैली बनाने के लिए राष्ट्र की प्रतिबद्धता को दर्शाता है - वास्तव में स्वभाव स्वच्छता संस्कार स्वच्छता को प्रतिबिंबित करता है। 2016 में 73 शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) से लेकर 2024 में 4900 यूबीएल का आकलन करने तक, स्वच्छ सर्वेक्षण शहरों को स्वच्छता मानकों को बढ़ाने और अपने नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रेरित कर रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में, स्वच्छ सर्वेक्षण में नागरिकों की राय एक सशक्त मूल्यांकन उपकरण बन गई है। स्वच्छ सर्वेक्षण ने स्वच्छता के प्रति नागरिकों की धारणा और सहभागिता, विशेष रूप से दृश्य स्वच्छता के प्रति उनकी भागीदारी को लगातार दर्शाया है। इसे और अधिक बल देने के लिए, 2025-26 के टूलकिट को इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है कि नागरिकों की राय को अधिक शक्ति और महत्व मिले।
इस वर्ष से, नागरिक वोट फॉर माय सिटी ऐप और पोर्टल, मायगव ऐप, स्वच्छता ऐप और क्यूआर कोड सहित कई प्लेटफार्मों के माध्यम से पूरे वर्ष अपनी प्रतिक्रिया दे सकेंगे। नागरिक सत्यापन का महत्व काफी बढ़ा दिया गया है।
स्वच्छ सर्वेक्षण अपने शहरी स्वच्छता ढांचे के अंतर्गत गंगा-बहुल शहरों का आकलन करता है। अब इसका दायरा बढ़ाते हुए, देश भर के नदी-बहुल शहरों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। तटीय क्षेत्रों को स्वच्छ सर्वेक्षण के दायरे में लाने के लिए एक अलग मैट्रिक्स तैयार किया गया है ।
आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने सितंबर, 2025 में एसबीएम-यू- स्वच्छ शहर जोड़ी (एसएसजे) के तहत शहरी अपशिष्ट प्रबंधन मेंटरशिप प्रोग्राम में सबसे बड़ा समयबद्ध और संरचित मेंटरशिप फ्रेमवर्क लॉन्च किया। 72 मेंटर और 200 मेंटी शहरों ने ज्ञान हस्तांतरण, सहकर्मी सीखने और सर्वोत्तम प्रथाओं की प्रतिकृति को बढ़ावा देने के लिए समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए। मेंटरशिप और पीयर लर्निंग को मजबूत करने के लिए, प्रत्येक जनसंख्या श्रेणी में मान्यता के साथ, जोड़ियों के औसत स्कोर के आधार पर स्वच्छ शहर जोड़ियों को मान्यता देने के लिए एक नई पुरस्कार श्रेणी शुरू की गई है।
गुणवत्ता आश्वासन को सुदृढ़ करने और मजबूत प्रतिक्रिया और शिकायत निवारण को संस्थागत बनाने के लिए, स्वच्छ सर्वेक्षण ने एक कड़ी निगरानी वाला, प्रोटोकॉल-संचालित मूल्यांकन ढांचा पेश किया है। एक राष्ट्रीय निरीक्षण टीम इस प्रक्रिया को पहली बार प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के लिए एक समर्पित एकल-बिंदु-संपर्क प्रभारी नियुक्त किया गया है। देश भर के 3,000 से अधिक प्रशिक्षित फील्ड मूल्यांकनकर्ता वास्तविक समय, जीपीएस-सक्षम निगरानी द्वारा समर्थित सभी यूएलबी को कवर करते हुए 45-दिवसीय ऑन-ग्राउंड सर्वेक्षण करेंगे। साक्ष्य प्रस्तुत करने से लेकर सत्यापन तक की पूरी प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल, पारदर्शी और कड़ाई से गुणवत्ता-जांच की जाती है।
टूलकिट जारी होने के बाद, फील्ड मूल्यांकन फरवरी के मध्य से मार्च 2026 तक शुरू होने की उम्मीद है। जीएफसी और ओडीएफ प्रमाणन मूल्यांकन भी फरवरी, 2026 के मध्य से शुरू होगा। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी दुनिया के सबसे बड़े जन आंदोलन के प्रमाण के रूप में खड़ा है, जिसके केंद्र में स्वच्छ सर्वेक्षण है - जो प्रत्येक नागरिक की आवाज को बुलंद करता है। यह एक शहर-रैंकिंग अभ्यास से परे एक शक्तिशाली मंच के रूप में विकसित हुआ है जो नागरिकों को समान हितधारकों के रूप में सशक्त बनाता है, स्वामित्व, जवाबदेही और गौरव को बढ़ावा देता है। जैसे-जैसे स्वच्छ शहर बनने की दौड़ तेज हो रही है, स्वच्छ सर्वेक्षण फीडबैक और शिकायत निवारण के एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना जारी रखता है, स्वच्छता को एक साझा राष्ट्रीय आकांक्षा और सामूहिक गौरव का विषय बनाता है।
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