12/18/2025 | Press release | Distributed by Public on 12/18/2025 07:53
केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्री श्रीपाद येसो नाइक ने आज नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी एवं दृढ़ नेतृत्व ने निर्णायक आकार प्रदान किया है। राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक शक्ति एवं तकनीकी संप्रभुता के बीच गहरे अंतर्संबंध को स्पष्ट बनाने से रक्षा विनिर्माण एक रणनीतिक आवश्यकता से राष्ट्रीय मिशन बन चुका है।
मंत्री ने कहा कि देश ने आत्मविश्वास के साथ रक्षा उपकरणों का प्रमुख आयातक से एक ऐसे राष्ट्र में रूपांतरित हुआ है जो उन्नत रक्षा प्रणालियों को डिज़ाइन, विकसित, निर्माण एवं निर्यात करता है और मजबूत, सुरक्षित एवे आत्मविश्वास से भरे वैश्विक शक्ति के रूप में भारत के उदय में रक्षा आत्मनिर्भरता को एक मजबूत आधार प्रदान करता है।
उन्होंने आगे कहा कि रक्षा क्षेत्र आयात पर निर्भरता से स्वदेशी क्षमता की ओर संरचनात्मक रूप से परिवर्तित हुआ है, जो आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया से मेक फॉर द वर्ल्ड के दृष्टिकोण में निहित है। इस प्रगति के मद्देनजर, रक्षा मंत्रालय ने 2025 को 'सुधारों का वर्ष' घोषित किया है, जो सशस्त्र बलों की परिचालन तत्परता को बढ़ावा देने के साथ-साथ रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण की तीव्र प्रगति को परिलक्षित करता है।
श्री नाइक ने कहा कि रक्षा उत्पादन वित्त वर्ष 2024-25 में 1.54 लाख करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो 2014-15 में 46,429 करोड़ रुपये था, यह भारत के स्वदेशी रक्षा विनिर्माण आधार के स्तर, गहराई एवं परिपक्वता को दर्शाता है। रक्षा निर्यात वित्त वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड 23,622 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जबकि 2014 में यह 1,000 करोड़ रुपये से कम था। यह भारत के एक विश्वसनीय एवं प्रतिस्पर्धी वैश्विक रक्षा आपूर्तिकर्ता बनने की दिशा में अग्रसर होने को रेखांकित करता है। भारत ने लगभग 80 देशों को गोला-बारूद, हथियार, उप-प्रणालियां, संपूर्ण प्रणालियां और महत्वपूर्ण घटक सहित रक्षा उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला की आपूर्ति की है जो वैश्विक रक्षा आपूर्ति श्रृंखला में एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में इसकी भूमिका को पुनः पुष्टि करता है।
उन्होंने आगे कहा कि रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र का योगदान लगभग 23 प्रतिशत तक बढ़ गया है, जो भारतीय उद्योग की बढ़ती प्रतिस्पर्धा, नवाचार एवं आत्मविश्वास को दर्शाता है, जबकि रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम अभी भी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं और ज्यादा जवाबदेह एवं प्रदर्शन-उन्मुख संरचना में कुल रक्षा उत्पादन का लगभग 77 प्रतिशत योगदान दे रहे हैं। पांच सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियां, जो 5,500 से अधिक वस्तुओं को कवर करती हैं, अधिसूचित की गई है, जिनमें से 3,000 से अधिक वस्तुओं का पहले ही स्वदेशीकरण किया जा चुका है, जिससे आयात निर्भरता निर्णायक रूप से कम हुई है और घरेलू क्षमता मजबूत हुई है।
मंत्री जी ने कहा कि एलसीए तेजस, एलसीएच प्रचंड, एटीएजीएस, आकाश मिसाइल प्रणाली, रडार, युद्धपोत, बख्तरबंद वाहन और ड्रोन जैसे स्वदेशी प्लेटफॉर्म सशस्त्र बलों की परिचालन तत्परता एवं युद्ध क्षमता में महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा दे रहे हैं। स्वदेशी उपकरणों एवं प्रणालियों के समर्थन से निष्पादित ऑपरेशन सिंदूर ने ड्रोन युद्ध, स्तरीय वायु रक्षा और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की यात्रा में एक मील का पत्थर साबित किया है, जो आत्मनिर्भरता के परिचालन महत्व को स्पष्ट करता है।
श्री नाइक ने कहा कि मिशन सुदर्शन चक्र, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस 2025 पर लाल किले की प्राचीर से घोषित किया, का उद्देश्य दुश्मन की रक्षा घुसपैठ को बेअसर करना और देश की आक्रामक एवं रक्षात्मक क्षमताओं को मजबूत करना है। श्री कृष्ण के पौराणिक सुदर्शन चक्र से प्रेरित यह मिशन गति, सटीकता एवं निर्णायक शक्ति का प्रतीक है, जो भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और तेज़, प्रभावी प्रतिक्रिया की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस मिशन के अंतर्गत, 2035 तक सार्वजनिक स्थानों एवं महत्वपूर्ण क्षेत्रों की बेहतर सुरक्षा के साथ-साथ एक विस्तारित राष्ट्रव्यापी सुरक्षा कवच की परिकल्पना की गई है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति दीर्घकालिक, आत्मनिर्भर दृष्टिकोण को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारों ने मिलकर 9,145 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आकर्षित किया है, जिसमें 289 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिससे 66,423 करोड़ रुपये के संभावित अवसर खुले हैं। अक्टूबर 2025 में शुरू की गई रक्षा खरीद नियमावली 2025, लगभग एक लाख करोड़ रुपये के सामान एवं सेवाओं की राजस्व खरीद को सुविधाजनक बनाती है, जिससे पारदर्शिता, एकरूपता एवं घरेलू उद्योग की भागीदारी बढ़ती है। राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप खरीद प्रक्रिया को सुनिश्चित करने, स्वदेशी डिजाइन को बढ़ावा देने एवं प्रौद्योगिकी समावेश को सुगम बनाने के लिए रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 की व्यापक समीक्षा भी शुरू की गई है।
केंद्रीय बजट 2025-26 में रक्षा आवंटन की बात करते हुए, उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय को 6.81 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसमें पूंजीगत व्यय के लिए 1.80 लाख करोड़ रुपये शामिल हैं, जिसमें आधुनिकीकरण बजट का 75 प्रतिशत हिस्सा घरेलू खरीद के लिए निर्धारित है, जिससे भारतीय निर्माताओं के लिए मजबूत एवं निरंतर मांग बनी रहेगी। रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार कार्यक्रम, स्टार्टअप्स, लघु एवं मध्यम उद्यमों और अकादमिक संस्थानों को रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में एकीकृत करके रक्षा नवाचार के एक प्रमुख प्रवर्तक के रूप में उभरा है। वहीं, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) प्रौद्योगिकी विकास कोष के अंतर्गत 500 करोड़ रुपये के कोष और 15 रक्षा उद्योग-अकादमिक उत्कृष्टता केंद्रों के सहयोग से नवाचार को निरंतर बढ़ावा दे रहा है। आयुध कारखाना बोर्ड की सात रक्षा उपक्रम इकाइयों में पुनर्गठन करने से पारंपरिक रक्षा विनिर्माण की स्वायत्तता, दक्षता एवं निर्यात उन्मुखीकरण को और बढ़ावा मिला है।
रक्षा क्षेत्र में 16,000 से अधिक लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) शामिल होने के साथ, आत्मनिर्भरता व्यापक रुप से एक राष्ट्रीय कोशिश बन गई है। सरकार ने 2029 तक 3 लाख करोड़ रुपये का रक्षा उत्पादन और 50,000 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात प्राप्त करने का स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित किया है, जिससे भारत को वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित किया जा सके।
अपने संबोधन को समाप्त करते हुए, मंत्री ने कहा कि आज रक्षा में आत्मनिर्भरता केवल एक आकांक्षा नहीं है बल्कि यह एक मापनीय एवं विश्वसनीय वास्तविकता है, जो बढ़ते उत्पादन, बढ़ते निर्यात और प्रमाणित संचालन क्षमता में परिलक्षित होती है। जैसे-जैसे भारत वैश्विक रक्षा निर्माण केंद्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, यह यात्रा सशस्त्र बलों को मजबूत करती रहेगी, भारतीय उद्योग को सशक्त बनाएगी और वैश्विक सुरक्षा संरचना में भारत की स्थिति को एक आत्मविश्वासी, सक्षम एवं विश्वसनीय साझेदार के रूप में मजबूत करेगी।
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