Prime Minister’s Office of India

12/28/2025 | Press release | Distributed by Public on 12/28/2025 22:54

प्रधानमंत्री ने दिल्ली में मुख्य सचिवों के पांचवें राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता की

प्रधानमंत्री कार्यालय

प्रधानमंत्री ने दिल्ली में मुख्य सचिवों के पांचवें राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता की


विकसित भारत का मतलब शासन, डिलीवरी और विनिर्माण में गुणवत्ता एवं उत्कृष्टता है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने कहा- भारत अपने युवाओं की ताकत से 'रिफॉर्म एक्सप्रेस' पर सवार हो गया है

प्रधानमंत्री ने बताया - भारत की जनसांख्यिकी बढ़त विकसित भारत की यात्रा को काफी तेजी से आगे बढ़ा सकती है

'मेड इन इंडिया' को वैश्विक उत्कृष्टता और प्रतिस्पर्धात्मकता का प्रतीक बनना चाहिए: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भरता को मजबूत करने और 'जीरो इफेक्ट, ज़ीरो डिफेक्ट' के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करने की जरूरत पर जोर दिया

प्रधानमंत्री ने आयात पर निर्भरता कम करने और आर्थिक मजबूती बढ़ाने के उद्देश्य से घरेलू विनिर्माण के लिए 100 उत्पादों की पहचान करने का सुझाव दिया

प्रधानमंत्री ने हर राज्य से जल्द शुरू होने वाले राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन को शीर्ष प्राथमिकता देने का आग्रह किया

प्रधानमंत्री ने राज्यों से विनिर्माण को बढ़ावा देने, 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' को बेहतर बनाने और भारत को वैश्विक सेवाओं का बड़ा केंद्र बनाने का आह्वान किया

प्रधानमंत्री ने भारत को दुनिया की फूड बास्केट बनाने के लिए हाई वैल्यू कृषि की ओर बढ़ने पर जोर दिया

प्रधानमंत्री ने राज्यों को वैश्विक स्तर का पर्यटन स्थल बनाने के लिए रोडमैप तैयार करने का निर्देश दिया

प्रविष्टि तिथि: 28 DEC 2025 9:32PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज दिल्ली में मुख्य सचिवों के5वें राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। यह तीन दिवसीय सम्मेलन26 से28 दिसंबर, 2025 तक दिल्ली के पूसा में आयोजित किया गया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सम्मेलन सहकारी संघवाद की भावना को मजबूत करने और विकसित भारत के विज़न को हासिल करने के लिए केंद्र-राज्य साझेदारी को गहरा करने की दिशा में एक और निर्णायक कदम है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि ज्ञान, कौशल, स्वास्थ्य और क्षमताओं से बनी मानव पूंजी आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति का मूल आधार है और इसे पूरे सरकार के समन्वित दृष्टिकोण के माध्यम से विकसित किया जाना चाहिए।

सम्मेलन में'विकसित भारत के लिए मानव पूंजी' की मुख्य थीम पर चर्चा हुई। भारत के जनसांख्यिकीय से जुड़े फायदे पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि लगभग70 प्रतिशत आबादी कामकाजी उम्र समूह में है, जिससे एक अनोखा ऐतिहासिक अवसर बन रहा है, जो आर्थिक प्रगति के साथ मिलकर भारत को विकसित भारत की ओर ले जाने की यात्रा को काफी तेज कर सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत"रिफॉर्म एक्सप्रेस" में सवार हो गया है, जो मुख्य रूप से अपनी युवा आबादी की ताकत से चल रही है और इस आबादी को सशक्त बनाना सरकार की मुख्य प्राथमिकता बनी हुई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब देश अगली पीढ़ी के सुधारों को देख रहा है और एक प्रमुख वैश्विक आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि विकसित भारत का मतलब गुणवत्ता और उत्कृष्टता है और उन्होंने सभी हितधारकों से औसत नतीजों से आगे बढ़ने का आग्रह किया। शासन, सेवाओं की डिलीवरी और विनिर्माण में गुणवत्ता पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि'मेड इन इंडिया' का लेबल उत्कृष्टता (एक्सीलेंस) और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता का प्रतीक बनना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भरता को मजबूत करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि भारत को उत्पादों में जोरो डिफेक्ट और कम से कम पर्यावरणीय प्रभाव के साथ आत्मनिर्भरता हासिल करनी चाहिए, जिससे'मेड इन इंडिया' का लेबल गुणवत्ता का पर्याय बन जाए और'ज़ीरो इफेक्ट, ज़ीरो डिफेक्ट' के प्रति हमारी प्रतिबद्धता मजबूत हो। उन्होंने केंद्र और राज्यों से मिलकर घरेलू विनिर्माण के लिए100 उत्पादों की पहचान करने का आग्रह किया ताकि आयात पर निर्भरता कम हो और विकसित भारत के विजन के अनुरूप आर्थिक लचीलापन मज़बूत हो।

प्रधानमंत्री ने कौशल विकास की रणनीति को बेहतर ढंग से आकार देने के लिए राज्य और ग्लोबल लेवल पर कौशल की मांग का मैप बनाने की जरूरत पर जोर दिया। उच्च शिक्षा में भी, उन्होंने सुझाव दिया कि अच्छी गुणवत्ता की प्रतिभा को तैयार करने के लिए शैक्षिक क्षेत्र और उद्योग को मिलकर काम करने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि युवाओं की आजीविका के मुद्दे पर पर्यटन बहुत बड़ी भूमिका निभा सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत की एक समृद्ध विरासत और इतिहास है, जिसमें दुनिया के टॉप टूरिस्ट डेस्टिनेशन में से एक बनने की क्षमता है। उन्होंने राज्यों से कम से कम एक वैश्विक स्तर का टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाने और पूरे टूरिस्ट इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए एक रोडमैप तैयार करने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारतीय नेशनल स्पोर्ट्स कैलेंडर को ग्लोबल स्पोर्ट्स कैलेंडर के साथ संरेखित करना जरूरी है। भारत2036 के ओलंपिक्स की मेज़बानी करने की दिशा में काम कर रहा है। भारत को वैश्विक मानकों के बराबर इंफ्रास्ट्रक्चर और स्पोर्ट्स इकोसिस्टम तैयार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि युवा बच्चों की पहचान करके उन्हें उस समय मुकाबले के लिए तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि अगले10 साल उनमें निवेश किए जाएं, तभी भारत को ऐसे स्पोर्ट्स इवेंट्स में मनचाहे नतीजे मिलेंगे। स्थानीय और जिला स्तर पर स्पोर्ट्स इवेंट्स और टूर्नामेंट्स आयोजित करने और खिलाड़ियों का डेटा रखने से खेलों के लिए एक जीवंत माहौल बनेगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत जल्द ही राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन(एनएमएम) लॉन्च करेगा। हर राज्य को इसे शीर्ष प्राथमिकता देनी चाहिए और वैश्विक कंपनियों को आकर्षित करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि इसमें खासकर जमीन, यूटिलिटीज़ और सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' शामिल है। उन्होंने राज्यों से विनिर्माण को बढ़ावा देने, 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' को बेहतर बनाने और सेवा क्षेत्र को मजबूत करने का भी आग्रह किया। सेवा क्षेत्र में,प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत को वैश्विक स्तर पर सेवा क्षेत्र में दिग्गज बनाने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, पर्यटन, व्यावसायिक सेवाएं, एआई जैसे दूसरे क्षेत्रों पर ज्यादा जोर देना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत की दुनिया की फूड बास्केट बनने की इच्छा को ध्यान में रखते हुए, हमें निर्यात पर फोकस करके हाई वैल्यू कृषि, डेयरी, मछली पालन की ओर बढ़ना होगा। उन्होंने बताया कि पीएम धन धान्य योजना ने कम उत्पादकता वाले100 जिलों की पहचान की है। इसी तरह, लर्निंग आउटकम में राज्यों को सबसे कम प्रदर्शन करने वाले100 जिलों की पहचान करनी चाहिए और कम संकेतकों से जुड़ी समस्याओं को हल करने पर काम करना चाहिए।

प्रधानमत्री ने राज्यों से पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण के लिए ज्ञान भारतम मिशन का इस्तेमाल करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राज्य अपने राज्यों में उपलब्ध ऐसी पांडुलिपियों को डिजिटाइज करने के लिए एक अभियान शुरू कर सकते हैं। एक बार जब ये पांडुलिपियां डिजिटाइज हो जाएंगी, तो उपलब्ध ज्ञान और जानकारी से एक समझ कायम करने के लिए एआई का इस्तेमाल किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सम्मेलन सामूहिक सोच और रचनात्मक नीति संवाद की भारत की परंपरा को दिखाती है और भारत सरकार द्वारा संस्थागत किया गया मुख्य सचिवों का सम्मेलन सामूहिक विचार-विमर्श के लिए एक प्रभावी मंच बन गया है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि राज्यों को शासन और कार्यान्वयन को मजबूत करने के लिए मुख्य सचिवों और डीजीपी दोनों कॉन्फ्रेंस से निकलने वाली चर्चाओं और फैसलों के साथ मिलकर काम करना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि अधिकारियों के बीच राष्ट्रीय दृष्टिकोण को बढ़ावा देने और विकसित भारत की दिशा में शासन के नतीजों को बेहतर बनाने के लिए विभागीय स्तर पर भी इसी तरह के सम्मेलन आयोजित किए जा सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को क्षमता निर्माण आयोग (कैपेसिटी बिल्डिंग कमीशन) के साथ मिलकर क्षमता विकास योजना तैयार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शासन में एआई का इस्तेमाल और साइबर सुरक्षा के बारे में जागरूकता समय की जरूरत है। हर नागरिक की सुरक्षा के लिए राज्यों और केंद्र को साइबर सुरक्षा पर जोर देना होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी हमारे पूरे जीवन चक्र में सुरक्षित और स्थिर समाधान दे सकती है। शासन में गुणवत्ता लाने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने की जरूरत है।

आखिर में, प्रधानमंत्री ने कहा कि हर राज्य को इस सम्मेलन की चर्चाओं के आधार पर10-साल की कार्य योजना बनानी चाहिए, जिसमें1, 2, 5 और10 साल की लक्ष्य समयसीमा हों, जिसमें नियामकीय निगरानी के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा सके।

तीन-दिवसीय सम्मेलन में जिन खास विषयों पर जोर दिया गया, उनमें शुरुआती बचपन की शिक्षा; स्कूली शिक्षा; कौशल विकास; उच्च शिक्षा; और खेल एवं एक्स्ट्रा-करिकुलर एक्टिविटीज शामिल थीं, जो एक मजबूत, समावेशी और भविष्य के लिए तैयार कार्यबल बनाने में उनकी भूमिका को पहचानते हैं।

सम्मेलन के दौरान चर्चा

सम्मेलन के दौरान हुई चर्चाओं में टीम इंडिया की भावना दिखी, जहां केंद्र और राज्य मिलकर विचारों पर अमल करने की साझा प्रतिबद्धता के साथ एक साथ आए। चर्चाओं में सहमत नतीजों को समय पर लागू करने के महत्व पर जोर दिया गया ताकि विकसित भारत का विजन नागरिकों के जीवन में ठोस सुधारों में बदल सके। सत्रों में मानव पूंजी विकास से संबंधित प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में मौजूदा स्थिति, मुख्य चुनौतियों और संभावित समाधानों का व्यापक मूल्यांकन किया गया।

सम्मेलन में भोजन के दौरान हेरिटेज और पांडुलिपि संरक्षण एवं डिजिटलीकरण; और सभी के लिए आयुष पर केंद्रित चर्चाएं भी हुईं, जिसमें प्राथमिक हेल्थकेयर डिलीवरी में ज्ञान को एकीकृत करने पर जोर दिया गया।

चर्चाओं में प्रभावी डिलीवरी, नागरिक-केंद्रित शासन और परिणाम-उन्मुख कार्यान्वयन के महत्व पर भी जोर दिया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विकास पहल जमीनी स्तर पर मापने योग्य प्रभाव में बदलें। चर्चाओं में सेवा वितरण को बढ़ाने के लिए संस्थागत क्षमता को मजबूत करने, अंतर-विभागीय समन्वय में सुधार करने और डेटा-संचालित निगरानी ढांचे को अपनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया। प्रक्रियाओं को सरल बनाने, प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने और अंतिम-मील तक पहुंच सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया ताकि विकास के लाभ विकसित भारत की दृष्टि के अनुरूप, हर नागरिक तक समय पर, पारदर्शी और समावेशी तरीके से पहुंच सकें।

सम्मेलन में कई विशेष सत्र हुए, जिनसे क्रॉस-कटिंग और उभरती हुई प्राथमिकताओं पर केंद्रित चर्चा हो सकी। इन सत्रों में राज्यों में नियंत्रण को खत्म करना, शासन में प्रौद्योगिकी: अवसर, जोखिम और समाधान; स्मार्ट आपूर्ति श्रृंखला और मार्केट लिंकेज के लिए एग्रीस्टैक; एक राज्य, एक विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल; आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी; और वामपंथी उग्रवाद के बाद के भविष्य की योजनाओं पर नीति के रास्ते और सर्वश्रेष्ठ तौर-तरीकों पर चर्चा की गई। चर्चाओं में सहकारी संघवाद, सफल राज्य-स्तरीय पहलों को दोहराने और चर्चाओं को मापने योग्य परिणामों में बदलने के लिए समय-सीमा के भीतर लागू करने के महत्व पर जोर दिया गया।

इस सम्मेलन में सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों, वरिष्ठ अधिकारियों, क्षेत्र विशेषज्ञों और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

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पीके/ केसी/ एमपी


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