12/08/2025 | Press release | Distributed by Public on 12/08/2025 06:55
हाल ही में जारी 'भूतापीय ऊर्जा पर राष्ट्रीय नीति' (15 सितंबर 2025 को अधिसूचित) भारतीय परिस्थितियों में अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञता और सिद्ध भूतापीय प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय प्रौद्योगिकी साझेदारी, ज्ञान हस्तांतरण और संयुक्त अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहन देती है।
भूतापीय ऊर्जा क्षेत्र में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय का ऑस्ट्रेलिया, आइसलैंड, सऊदी अरब और अमेरिका के साथ सहयोग की व्यवस्था है।
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के जारी भूतापीय एटलस (2022) के आधार पर, देश0 की अनुमानित सैद्धांतिक भूतापीय संसाधन क्षमता लगभग 10,600 मेगावाट है।
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने पूरे देश में 381 गर्म झरनों का मानचित्रण और प्रलेखन किया है। अध्ययनों के आधार पर, 42 भू-तापीय स्थलों की पहचान भू-तापीय ऊर्जा के दोहन और प्रत्यक्ष ताप अनुप्रयोगों के लिए आशाजनक क्षेत्रों के रूप में की गई है। इन 42 स्थलों का उल्लेख एमएनआरई की अधिसूचित 'भू-तापीय ऊर्जा पर राष्ट्रीय नीति' में आगे अन्वेषण और विकास के लिए संभावित स्थलों के रूप में किया गया है।
भूतापीय ऊर्जा पर राष्ट्रीय नीति भूतापीय ऊर्जा पुनर्प्राप्ति के लिए परित्यक्त तेल एवं गैस कूपों के पुनरुद्देश्यीकरण की क्षमता को स्पष्ट रूप से मान्यता देती है। यह नीति तेल क्षेत्रों में उपयुक्त कूपों को भूतापीय उत्पादन में परिवर्तित करने हेतु तकनीकी मार्गदर्शन, प्रायोगिक प्रदर्शन और नियामक सुविधा प्रदान करती है। प्रायोगिक पहल के एक भाग के रूप में, परित्यक्त तेल कूपों में भूतापीय ऊर्जा की खोज हेतु आईआईटी मद्रास को एक अनुसंधान एवं विकास परियोजना स्वीकृत की गई है।
यह जानकारी केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्री श्रीपद येसो नाइक ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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