12/06/2025 | Press release | Distributed by Public on 12/06/2025 22:22
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट 2025 को संबोधित किया। अपने भाषण में उन्होंने भारत और विदेश से आए अनेक विशिष्ट अतिथियों का उल्लेख करते हुए आयोजकों और विचार साझा करने वाले सभी लोगों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि शोभना जी ने अपने स्वागत भाषण में दो महत्वपूर्ण बातें कही थीं, जिन्हें उन्होंने ध्यान से सुना। पहली बात उनके पिछले दौरे से जुड़ी थी, जब उन्होंने मीडिया संस्थानों को सलाह देने जैसा दुर्लभ कदम उठाया था। प्रधानमंत्री ने खुशी जताई कि शोभना जी और उनकी टीम ने उस सलाह को पूरे उत्साह से लागू किया। उन्होंने यह भी बताया कि प्रदर्शनी में जाकर उन्होंने देखा कि फोटोग्राफरों ने किस तरह पलों को इतने सुंदर ढंग से कैद किया है कि वे अमिट हो गए हैं, और सभी से उसे देखने का आग्रह किया।
श्री मोदी ने शोभना जी के दूसरे बिंदु पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह केवल उनकी इच्छा नहीं है कि वे राष्ट्र की सेवा करते रहें, बल्कि यह भी है कि हिंदुस्तान टाइम्स ने स्वयं कहा है कि उन्हें इसी तरह सेवा करते रहना चाहिए, जिसके लिए उन्होंने विशेष आभार व्यक्त किया।
श्री मोदी ने इस वर्ष के शिखर सम्मेलन की थीम "कल का परिवर्तन" पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि हिंदुस्तान टाइम्स का 101 साल पुराना इतिहास है और इसे महात्मा गांधी, मदन मोहन मालवीय और घनश्यामदास बिड़ला जैसे महान नेताओं का आशीर्वाद प्राप्त है। उन्होंने कहा कि जब यह अखबार "कल के परिवर्तन" पर चर्चा करता है, तो देश को यह विश्वास दिलाता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन, मानसिकता और दिशा बदलने की सच्ची कहानी है।
यह देखते हुए कि आज भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पी डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस भी है, श्री मोदी ने सभी भारतीयों की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि हम एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं, जहां 21वीं सदी का एक-चौथाई हिस्सा बीत चुका है। उन्होंने कहा कि इन 25 वर्षों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, जिनमें वित्तीय संकट, वैश्विक महामारी, तकनीकी व्यवधान, खंडित विश्व और निरंतर युद्ध शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ये सभी परिस्थितियां किसी न किसी रूप में अनिश्चितताओं से भरे विश्व के लिए चुनौती बन रही हैं। श्री मोदी ने कहा, "अनिश्चितता के इस दौर में, भारत आत्मविश्वास से भरकर एक अलग ही मुकाम पर पहुंच रहा है।" उन्होंने आगे कहा कि जब दुनिया मंदी की बात करती है, तो भारत विकास की कहानी लिखता है, जब दुनिया विश्वास के संकट का सामना करती है, तो भारत विश्वास का स्तंभ बनता है, और जब दुनिया विखंडन की ओर बढ़ती है, तो भारत एक सेतु-निर्माता के रूप में उभरता है।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि कुछ ही दिन पहले भारत के दूसरी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े जारी हुए हैं, जिनमें आठ प्रतिशत से अधिक की विकास दर दिखाई गई है, जो प्रगति की नई गति को दर्शाती है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह सिर्फ़ एक संख्या नहीं, बल्कि एक मज़बूत वृहद आर्थिक संकेत है कि आज भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था का विकास चालक बन रहा है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ये आंकड़े ऐसे समय में आए हैं, जब वैश्विक विकास दर लगभग तीन प्रतिशत है और जी-7 देशों की अर्थव्यवस्थाओं की औसत विकास दर लगभग डेढ़ प्रतिशत है। उन्होंने रेखांकित किया कि ऐसी परिस्थितियों में भारत उच्च विकास और निम्न मुद्रास्फीति के एक मॉडल के रूप में उभरा है। श्री मोदी ने याद दिलाया कि एक समय था जब अर्थशास्त्री उच्च मुद्रास्फीति को लेकर चिंता व्यक्त करते थे, लेकिन आज वही अर्थशास्त्री निम्न मुद्रास्फीति की बात करते हैं।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर देते हुए कि भारत की उपलब्धियां न तो साधारण हैं और न ही ये सिर्फ़ आंकड़े हैं, बल्कि ये पिछले एक दशक में देश में आए एक बुनियादी बदलाव का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्होंने कहा कि यह बुनियादी बदलाव लचीलेपन, समस्याओं का समाधान ढूंढ़ने की प्रवृत्ति, आशंकाओं के बादल हटाने और आकांक्षाओं के विस्तार का है। उन्होंने आगे कहा कि यही कारण है कि आज का भारत न सिर्फ़ खुद को बदल रहा है, बल्कि आने वाले कल को भी बदल रहा है।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि कल के बदलाव पर चर्चा करते समय, यह समझना ज़रूरी है कि बदलाव का विश्वास आज किए जा रहे कार्यों की मज़बूत नींव पर टिका है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आज के सुधार और आज का प्रदर्शन कल के बदलाव का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।
सरकार जिस सोच और तरीके से काम कर रही है, उसे बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की क्षमता का एक बड़ा हिस्सा लंबे समय तक उपयोग ही नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि जब इस अप्रयुक्त क्षमता को अधिक अवसर मिलेंगे, जब यह राष्ट्र के विकास में पूर्ण और निर्बाध भागीदारी करेगी, तो देश का परिवर्तन निश्चित है। प्रधानमंत्री ने पूर्वी भारत, पूर्वोत्तर, गांवों, टियर-2 और टियर-3 शहरों, नारी शक्ति, नवोन्मेषी युवाओं, समुद्री शक्ति और नीली अर्थव्यवस्था तथा अंतरिक्ष क्षेत्र पर चिंतन करने का आग्रह किया और कहा कि पिछले दशकों में इनकी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं किया गया। उन्होंने रेखांकित किया कि आज भारत इस अप्रयुक्त क्षमता का दोहन करने के दृष्टिकोण के साथ काम कर रहा है। श्री मोदी ने आगे कहा कि पूर्वी भारत में आधुनिक बुनियादी ढाचे, कनेक्टिविटी और उद्योग में अभूतपूर्व निवेश किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गांवों और छोटे शहरों को आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया जा रहा है, छोटे शहर स्टार्टअप्स और एमएसएमई के नए केंद्र बन रहे हैं, और गाँवों के किसान वैश्विक बाजारों से सीधे जुड़ने के लिए एफपीओ बना रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत की नारी शक्ति उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कर रही है और देश की बेटियां हर क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर रही हैं।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह परिवर्तन अब केवल महिला सशक्तिकरण तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज की मानसिकता और ताकत दोनों को बदल रहा है।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जब नए अवसर पैदा होते हैं और बाधाएं दूर होती हैं, तो आसमान में उड़ान भरने के लिए नए पंख मिलते हैं। भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र, जो पहले सरकारी नियंत्रण में था, का उदाहरण देते हुए, श्री मोदी ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोलने के लिए सुधार किए गए और अब इसके परिणाम देश के सामने हैं। उन्होंने बताया कि अभी 10-11 दिन पहले ही उन्होंने हैदराबाद में स्काईरूट के इन्फिनिटी कैंपस का उद्घाटन किया है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि एक निजी भारतीय अंतरिक्ष कंपनी, स्काईरूट, हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता हासिल करने की दिशा में काम कर रही है और उड़ान के लिए तैयार विक्रम-1 का विकास कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने यह मंच प्रदान किया और भारत के युवा इस पर एक नए भविष्य का निर्माण कर रहे हैं, और इस बात पर ज़ोर दिया कि यही सच्चा परिवर्तन है।
भारत में एक और बदलाव पर चर्चा की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए, श्री मोदी ने याद दिलाया कि एक समय था जब सुधार प्रतिक्रियावादी होते थे, या तो राजनीतिक हितों से प्रेरित होते थे या किसी संकट से निपटने की आवश्यकता से। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आज सुधार राष्ट्रीय लक्ष्यों को ध्यान में रखकर किए जाते हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हर क्षेत्र में सुधार हो रहे हैं, भारत की गति स्थिर है, उसकी दिशा सुसंगत है, और उसका इरादा राष्ट्र प्रथम में दृढ़ता से निहित है। उन्होंने रेखांकित किया कि वर्ष 2025 ऐसे सुधारों का वर्ष रहा है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण अगली पीढ़ी का जीएसटी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सुधारों का प्रभाव पूरे देश में देखा गया है। उन्होंने आगे कहा कि इस वर्ष प्रत्यक्ष कर प्रणाली में भी एक बड़ा सुधार पेश किया गया, जिसमें 12 लाख रुपये तक की आय पर शून्य कर लगाया गया, एक ऐसा कदम जिसकी एक दशक पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
सुधारों की श्रृंखला जारी रखने का उल्लेख करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि अभी तीन-चार दिन पहले ही लघु कंपनी की परिभाषा में संशोधन किया गया है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इसके परिणामस्वरूप, हज़ारों कंपनियां अब सरल नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। प्रधानमंत्री ने आगे बताया कि लगभग 200 उत्पाद श्रेणियों को अनिवार्य गुणवत्ता नियंत्रण आदेश से भी हटा दिया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत की आज की यात्रा केवल विकास की ही नहीं, बल्कि मानसिकता में बदलाव और एक मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण की भी है।" उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि कोई भी राष्ट्र आत्मविश्वास के बिना प्रगति नहीं कर सकता, और दुर्भाग्य से, गुलामी की मानसिकता के कारण लंबे समय तक चले औपनिवेशिक शासन ने भारत के आत्मविश्वास को हिलाकर रख दिया था। प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में यही औपनिवेशिक मानसिकता एक बड़ी बाधा रही है, और इसलिए आज का भारत इससे मुक्त होने के लिए काम कर रहा है।
यह देखते हुए कि अंग्रेज़ अच्छी तरह जानते थे कि भारत पर लंबे समय तक राज करने के लिए उन्हें भारतीयों का आत्मविश्वास छीनना होगा और उनमें हीनता की भावना भरनी होगी, और उन्होंने उस दौर में ऐसा ही किया। श्री मोदी ने कहा कि भारतीय पारिवारिक ढांचे को पुराना करार दिया गया, भारतीय पहनावे को गैर-पेशेवर बताया गया, भारतीय त्योहारों और संस्कृति को तर्कहीन बताया गया, योग और आयुर्वेद को अवैज्ञानिक बताकर खारिज कर दिया गया और भारतीय आविष्कारों का मज़ाक उड़ाया गया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इन धारणाओं को दशकों तक बार-बार प्रचारित, पढ़ाया और मज़बूत किया गया, जिससे भारतीय आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।
औपनिवेशिक मानसिकता के व्यापक प्रभाव पर टिप्पणी करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि वह इसे स्पष्ट करने के लिए उदाहरण देंगे। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आज भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है, जिसे एक के बाद एक उपलब्धियों के साथ वैश्विक विकास इंजन और वैश्विक महाशक्ति के रूप में वर्णित किया जा रहा है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आज भारत के तेज़ विकास के बावजूद, कोई भी इसे 'हिंदू विकास दर' नहीं कहता। उन्होंने याद दिलाया कि इस शब्द का इस्तेमाल तब किया जाता था जब भारत दो से तीन प्रतिशत की विकास दर के लिए संघर्ष कर रहा था। प्रधानमंत्री ने सवाल किया कि क्या किसी देश के आर्थिक विकास को उसके लोगों के धर्म या पहचान से अनजाने में जोड़ा जा सकता है, और ज़ोर देकर कहा कि यह औपनिवेशिक मानसिकता का प्रतिबिंब है। उन्होंने टिप्पणी की कि एक पूरे समाज और परंपरा को अनुत्पादकता और गरीबी के साथ जोड़ा गया, और यह साबित करने की कोशिश की गई कि भारत का धीमा विकास हिंदू सभ्यता और संस्कृति के कारण है। श्री मोदी ने इस विडंबना की ओर इशारा किया कि वे तथाकथित बुद्धिजीवी जो हर चीज़ में सांप्रदायिकता ढूंढते हैं, वे हिंदू विकास दर शब्द में सांप्रदायिकता नहीं देख पाए, जिसे उनके दौर में किताबों और शोध पत्रों का हिस्सा बनाया गया था।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि औपनिवेशिक मानसिकता ने भारत के विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को तबाह कर दिया था और बताया कि कैसे राष्ट्र इसे पुनर्जीवित कर रहा है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि औपनिवेशिक काल में भी भारत हथियारों और गोला-बारूद का एक प्रमुख उत्पादक था, जिसके पास आयुध कारखानों का एक मज़बूत नेटवर्क था, जो हथियारों का निर्यात करता था और विश्व युद्धों में उनका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता था। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद, रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र नष्ट हो गया, क्योंकि औपनिवेशिक मानसिकता ने सरकार में बैठे लोगों को भारत में बने हथियारों का कम मूल्यांकन करने के लिए प्रेरित किया, जिससे देश दुनिया के सबसे बड़े रक्षा आयातकों में से एक बन गया।
इस बात पर ज़ोर देते हुए कि इसी मानसिकता ने जहाज निर्माण उद्योग को प्रभावित किया, जो सदियों से भारत का एक प्रमुख केंद्र रहा है, प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि पांच-छह दशक पहले भी, भारत का चालीस प्रतिशत व्यापार भारतीय जहाजों पर होता था, लेकिन औपनिवेशिक मानसिकता विदेशी जहाजों को प्राथमिकता देती थी। उन्होंने कहा कि इसका परिणाम स्पष्ट है, क्योंकि एक राष्ट्र जो कभी समुद्री शक्ति के लिए जाना जाता था, अपने 95 प्रतिशत व्यापार के लिए विदेशी जहाजों पर निर्भर हो गया, जिसके कारण आज भारत को विदेशी शिपिंग कंपनियों को सालाना लगभग 75 बिलियन डॉलर या लगभग छह लाख करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ता है।
प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा, "चाहे जहाज निर्माण हो या रक्षा निर्माण, आज हर क्षेत्र औपनिवेशिक मानसिकता को पीछे छोड़कर नई ऊंचाइयों को छूने का प्रयास कर रहा है।" श्री मोदी ने कहा कि औपनिवेशिक मानसिकता ने भारत के शासन-प्रणाली को बहुत नुकसान पहुंचाया है, क्योंकि लंबे समय तक सरकारी व्यवस्था अपने ही नागरिकों के प्रति अविश्वास से ग्रस्त रही। उन्होंने याद दिलाया कि पहले लोगों को अपने दस्तावेज़ किसी सरकारी अधिकारी से सत्यापित करवाने पड़ते थे, लेकिन यह अविश्वास टूट गया और स्व-सत्यापन को ही पर्याप्त मान लिया गया।
देश में ऐसे प्रावधानों पर प्रकाश डालते हुए, जहां छोटी-छोटी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था, श्री मोदी ने कहा कि इसे बदलने के लिए जन-विश्वास कानून लाया गया, जिसके माध्यम से ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को अपराधमुक्त किया गया। उन्होंने आगे कहा कि पहले, अत्यधिक अविश्वास के कारण, एक हज़ार रुपये के ऋण के लिए भी बैंक गारंटी मांगते थे। प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि मुद्रा योजना के माध्यम से अविश्वास के इस दुष्चक्र को तोड़ा गया है, जिसके तहत अब तक 37 लाख करोड़ रुपये के गारंटी-मुक्त ऋण दिए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस धन ने उन परिवारों के युवाओं में आत्मविश्वास जगाया है जिनके पास गारंटी के रूप में देने के लिए कुछ नहीं था, और उन्हें उद्यमी बनने में सक्षम बनाया है।
यह उल्लेख करते हुए कि देश में हमेशा से यह माना जाता रहा है कि एक बार सरकार को कुछ दे दिया जाए, तो वह एकतरफ़ा प्रक्रिया होती है और वापस कुछ नहीं मिलता, श्री मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि जब सरकार और लोगों के बीच विश्वास मज़बूत होता है, तो दूसरे अभियान के ज़रिए उसके परिणाम स्पष्ट दिखाई देते हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह जानकर आश्चर्य होगा कि बैंकों में 78 हज़ार करोड़ रुपये, बीमा कंपनियों के पास 14 हज़ार करोड़ रुपये, म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास तीन हज़ार करोड़ रुपये और लाभांश के रूप में 9 हज़ार करोड़ रुपये बिना दावे के पड़े हैं। उन्होंने रेखांकित किया कि यह पैसा गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए सरकार इसे उसके असली मालिकों तक पहुंचाने के लिए काम कर रही है। श्री मोदी ने आगे बताया कि इसके लिए विशेष शिविर शुरू किए गए हैं, और अब तक लगभग 500 जिलों में ऐसे शिविरों के ज़रिए हज़ारों करोड़ रुपये सही लाभार्थियों को लौटाए जा चुके हैं।
इस बात पर ज़ोर देते हुए कि यह सिर्फ़ संपत्ति की वापसी का मामला नहीं है, बल्कि विश्वास का मामला है, लोगों का विश्वास लगातार अर्जित करने की प्रतिबद्धता का मामला है, श्री मोदी ने कहा कि लोगों का विश्वास ही देश की असली पूंजी है और औपनिवेशिक मानसिकता के रहते ऐसे अभियान कभी संभव नहीं हो सकते थे।
प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा, "देश को हर क्षेत्र में औपनिवेशिक मानसिकता से पूरी तरह मुक्त होना होगा।" उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कुछ दिन पहले ही उन्होंने देश से दस साल की समय-सीमा के साथ काम करने की अपील की थी। श्री मोदी ने आगे कहा कि मैकाले की नीति, जिसने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए, 2035 में 200 साल पूरे कर लेगी, यानी दस साल बाकी हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इन दस सालों में, सभी नागरिकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि देश औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त हो जाए।
प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा, "भारत सिर्फ़ एक तय रास्ते पर चलने वाला देश नहीं है, बल्कि एक बेहतर कल के लिए उसे अपने क्षितिज का विस्तार करना होगा।" उन्होंने देश की भविष्य की ज़रूरतों को समझने और वर्तमान में समाधान खोजने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इसीलिए वे अक्सर मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियानों की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि अगर ऐसी पहल चार-पांच दशक पहले शुरू हुई होती, तो आज भारत की स्थिति बहुत अलग होती। श्री मोदी ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र का उदाहरण देते हुए बताया कि पांच-छह दशक पहले एक कंपनी भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आगे आई थी, लेकिन उस पर उचित ध्यान नहीं दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप भारत सेमीकंडक्टर निर्माण में पिछड़ गया।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि ऊर्जा क्षेत्र भी ऐसी ही स्थिति का सामना कर रहा है। उन्होंने बताया कि भारत वर्तमान में सालाना लगभग 125 लाख करोड़ रुपये मूल्य का पेट्रोल, डीज़ल और गैस आयात करता है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि देश में प्रचुर मात्रा में सूर्य की रोशनी उपलब्ध होने के बावजूद, 2014 तक भारत की सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता केवल 3 गीगावाट थी। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले दस वर्षों में यह क्षमता बढ़कर लगभग 130 गीगावाट हो गई है, जिसमें 22 गीगावाट केवल रूफटॉप सौर ऊर्जा के माध्यम से जोड़ा गया है।
श्री मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना ने नागरिकों को ऊर्जा सुरक्षा अभियान में प्रत्यक्ष भागीदारी का अवसर दिया है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि वाराणसी के सांसद होने के नाते, वे स्थानीय आंकड़े दे सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत वाराणसी में 26,000 से ज़्यादा घरों में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए गए हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इन संयंत्रों से प्रतिदिन तीन लाख यूनिट से ज़्यादा बिजली पैदा हो रही है, जिससे लोगों को हर महीने लगभग पांच करोड़ रुपये की बचत हो रही है। इस बात पर ज़ोर देते हुए कि इस सौर ऊर्जा उत्पादन से सालाना लगभग 90 हज़ार मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन कम हो रहा है, जिसकी भरपाई के लिए चालीस लाख से ज़्यादा पेड़ लगाने पड़ेंगे, प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि वे सिर्फ़ वाराणसी के आंकड़े पेश कर रहे हैं और इस योजना के व्यापक राष्ट्रीय लाभ पर विचार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह एक उदाहरण है कि कैसे एक पहल भविष्य को बदलने की शक्ति रखती है।
श्री मोदी ने बताया कि 2014 से पहले भारत अपने 75 प्रतिशत मोबाइल फ़ोन आयात करता था, जबकि आज मोबाइल फ़ोन का आयात लगभग शून्य हो गया है और देश एक प्रमुख निर्यातक बन गया है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि 2014 के बाद एक सुधार लागू किया गया, देश ने अच्छा प्रदर्शन किया और अब दुनिया इसके परिवर्तनकारी परिणाम देख रही है।
यह रेखांकित करते हुए कि कल को बदलने की यात्रा अनेक योजनाओं, नीतियों, निर्णयों, जन आकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है, श्री मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि यह एक निरंतरता की यात्रा है, जो किसी शिखर सम्मेलन की चर्चा तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत के लिए एक राष्ट्रीय संकल्प है। प्रधानमंत्री ने यह रेखांकित करते हुए समापन किया कि इस संकल्प में सभी का सहयोग और सामूहिक प्रयास आवश्यक है, और उन्होंने एक बार फिर सभी के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त की।
Speaking at the Hindustan Times Leadership Summit 2025. #HTLS2025@htTweets
https://t.co/D5ACi2xSwt
India is brimming with confidence. pic.twitter.com/5Cqes5YRWq
- PMO India (@PMOIndia) December 6, 2025In a world of slowdown, mistrust and fragmentation, India brings growth, trust and acts as a bridge-builder. pic.twitter.com/4dxbPFlqXi
- PMO India (@PMOIndia) December 6, 2025Today, India is becoming the key growth engine of the global economy. pic.twitter.com/IInnCzhgSA
- PMO India (@PMOIndia) December 6, 2025India's Nari Shakti is doing wonders. Our daughters are excelling in every field today. pic.twitter.com/G5lordAkYn
- PMO India (@PMOIndia) December 6, 2025
Our pace is constant.
Our direction is consistent.
Our intent is always Nation First. pic.twitter.com/Z0N1oyAcjZ
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride. pic.twitter.com/ua5dg0ttF4
- PMO India (@PMOIndia) December 6, 2025***
पीके/केसी/एनएम/एसएस