09/26/2025 | Press release | Distributed by Public on 09/26/2025 04:29
PM's speech during the launch of Bihar's Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana via video conferencing
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आप सबको प्रणाम!
नवरात्रि के इन पावन दिनों में आज मुझे बिहार की नारी शक्ति के साथ, उनकी खुशियों में शामिल होने का अवसर मिला है। मैं यहां स्क्रीन पर देख रहा था, लाखों महिलाएं-बहनें दिख रही हैं। नवरात्रि के इस पावन पर्व में आप सबके आशीर्वाद, हम सबके लिए एक बहुत बड़ी शक्ति है। मैं आज आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूं, और आज से 'मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना' शुरू की जा रही है। इस योजना से अब तक, जैसा मुझे बताया गया, 75 लाख बहनें जुड़ चुकी हैं। अभी एक साथ इन सभी 75 लाख बहनों के बैंक अकाउंट में 10-10 हजार रूपये भेजे गए हैं।
साथियों,
जब ये प्रक्रिया चल रही थी, तो मैं बैठे-बैठे दो बातों पर सोच रहा था। पहला तो ये कि आज वाकई बिहार की बहनों-बेटियों के लिए कितना बड़ा, कितना महत्वपूर्ण ये कदम नीतीश जी की सरकार ने उठाया है। जब कोई बहन या बेटी रोजगार करती है, स्वरोजगार करती है, तो उसके सपनों को नए पंख लग जाते हैं, समाज में उसका सम्मान और बढ़ जाता है। दूसरी बात, जो मेरे मन में आई, वो ये थी कि अगर हमने 11 साल पहले, जब आपने मुझे प्रधान सेवक के रूप में आपकी सेवा के लिए बिठाया, तो 11 साल पहले जनधन योजना का संकल्प अगर हमने ना लिया होता, अगर देश ने जनधन योजना के तहत बहनों-बेटियों के 30 करोड़ से ज्यादा खाते ना खुलवाए होते, इन बैंक खातों को आपके मोबाइल और आधार से ना जोड़ा होता, तो क्या आज इतने पैसे हम सीधे आपके बैंक खातों में भेज पाते। ये हो ही नहीं सकता था। और पहले तो एक प्रधानमंत्री कह चुके थे, ये जो आजकल लूट की चर्चा चल रही है ना, पहले एक प्रधानमंत्री ने कहा था, तब तो चारों तरफ उन्हीं का राज चलता था, पंचायत से पार्लियामेंट तक उनका राज था। और वो कहते थे कि दिल्ली से एक रूपया भेजते हैं, तो सिर्फ 15 पैसा पहुंचता है, 85 पैसे कोई पंजा मार लेता था। आज जो पैसे भेजे जा रहे हैं ना, पूरे 10 हजार रूपये आपके खाते में जमा होंगे, एक रूपया कोई मार नहीं सकता है। ये पैसे जो बीच में लुट जाते थे, आपके साथ कितना बड़ा अन्याय होता है।
साथियों,
एक भाई को खुशी तब मिलती है, जब उसकी बहन स्वस्थ हो, बहन खुशहाल हो, बहन का परिवार आर्थिक रूप से मजबूत हो, और इसके लिए वो भाई, जो बन पड़ता है, वो करता है। आज आपके दो भाई, नरेंद्र और नीतीश जी मिलकर आपकी सेवा, समृद्धि और आपके स्वाभिमान के लिए लगातार काम कर रहे हैं। आज का ये कार्यक्रम भी इसी का उदाहरण है।
माताओं-बहनों,
मुझे जब इस योजना के बारे में बताया गया था, तो इसके विजन को देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा था। हर परिवार की एक महिला को इस योजना का लाभ मिलेगा ही मिलेगा। और शुरुआत में 10 हजार रुपए देने के बाद, अगर वो महिला इन 10 हजार रूपयों का सही उपयोग करती है, कोई ना कोई रोजगार पैदा करती है, खुद अपने पैरों पर खड़े रहने के लिए कोई काम शुरू करती है, और अगर वो अच्छा लगेगा, और अच्छा चलने पर 2 लाख रुपए तक की वित्तीय सहायता और दी जा सकती है। सोचिए, ये आपके लिए कितना बड़ा काम हुआ है। और कॉरपोरेट वर्ल्ड में इसको सीड मनी कहते हैं। इस योजना की मदद से बिहार की मेरी बहनें किराना, बर्तन, कॉस्मेटिक, खिलौने, स्टेशनरी जैसी अनेक प्रकार की छोटी-छोटी-छोटी दुकानें खोल सकती है, अपना कारोबार कर सकती है। वो गौ-पालन कर सकती है, मुर्गीपालन कर सकती है, मछली पालन कर सकती हैं, बकरी पालन कर सकती हैं। ऐसे अनेक व्यवसायों में वो आगे बढ़ सकती हैं। और इन सब कामों के लिए आपको ट्रेनिंग की जरूरत है। अब आपको लगेगा पैसे तो मिल गए, लेकिन कुछ करेंगे कैसे? तो मैं आपको भरोसा देता हूं, सिर्फ पैसे दिए इतना नहीं, आपको इसकी ट्रेनिंग भी दी जाएगी, आपको सिखाया जाएगा, कैसे काम किया जाए। बिहार में तो पहले से जीविका सेल्फ हेल्प ग्रुप की इतनी बेहतरीन व्यवस्था मौजूद है। लगभग 11 लाख स्वयं सहायता समूह यहां काम कर रहे हैं, यानी एक जमी-जमाई व्यवस्था पहले से तैयार है। इस महीने की शुरुआत में ही मुझे जीविका निधि साख सहकारी संघ शुरू करने का अवसर मिला था। अब इस व्यवस्था की ताकत मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के साथ जुड़ जाएगी। यानी, अपनी शुरुआत के साथ ही ये योजना पूरे बिहार में, बिहार के हर कोने में और एक-एक परिवार तक प्रभावी होने वाली है।
साथियों,
मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना ने केंद्र सरकार के लखपति दीदी अभियान को भी नई मजबूती दी है। केंद्र सरकार ने देश में 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा है। 2 करोड़ से अधिक बहनें अब तक लखपति दीदी बन चुकी हैं। और मैं गांव की महिलाओं की बात कर रहा हूं। उनकी मेहनत से गांव बदले हैं, समाज बदला है और परिवार का रुतबा भी बदला है। बिहार में भी लाखों की संख्या में महिलाएं लखपति दीदियां बनी हैं। और जिस तरीके से बिहार की डबल इंजन की सरकार इस योजना को आगे बढ़ा रही है, मेरा पक्का विश्वास है कि वो दिन दूर नहीं जब देश में सबसे ज्यादा लखपति दीदी अगर पूरे हिंदुस्तान में कहीं होगी, तो आज तो मुझे लग रहा है कि ये ज्यादा से ज्यादा लखपति दीदी ये मेरे बिहार में ही होगी।
माताओं-बहनों,
केंद्र सरकार की मुद्रा योजना, ड्रोन दीदी अभियान, बीमा सखी अभियान, बैंक दीदी अभियान, ये भी आपके लिए रोजगार और स्वरोजगार के अवसर बढ़ा रही हैं। हमारा लक्ष्य है कि एक ही, और हम आज एक ही लक्ष्य को लेकर के चल रहे हैं- आपके सपने पूरे हों, आपके परिवार के जो सपने हैं, आपके मन में, आपके बच्चों का जो उज्ज्वल भविष्य है, उनको पूरा करने के लिए आपको ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलें।
साथियों,
आज केंद्र और राज्य सरकार के प्रयासों से भी बहनों-बेटियों के लिए नए-नए सेक्टर खुल रहे हैं। आज हमारी बेटियां बड़ी संख्या में फौज और पुलिस में आ रही हैं, हर महिला को गर्व होगा, आज हमारी बेटियाँ लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं।
लेकिन साथियों,
हमें वो दिन भी नहीं भूलने हैं, जब बिहार में आरजेडी की सरकार थी, लालटेन का राज था। उस दौरान अराजकता और भ्रष्टाचार की सबसे ज्यादा मार मेरे बिहार की माताओं-बहनों को, यहां की महिलाओं ने ही झेली है। वो दिन, जब बिहार की बड़ी-बड़ी सड़कें टूटी-फूटी होती थीं, पुल-पुलिया का नाम नहीं था, तब उससे सबसे ज्यादा तकलीफ किसको होती थी, जब ऐसी कठिनाइयां होती हैं ना, तो हम सब जानते हैं इन सारी कठिनाइयों की सबसे पहली तकलीफ हमारी महिलाओं को उठानी पड़ती है, हमारी माताओं-बहनों को उठानी पड़ती है। और आप तो जानते ही हैं, बाढ़ में तो ये परेशानी कितनी बढ़ जाती थी। गर्भवती महिलाएं समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाती थीं। गंभीर स्थिति होने पर उन्हें सही इलाज नहीं मिल पाता था, इन कठिन परिस्थितियों से आपको हमारी सरकार ने बाहर निकालने के लिए दिन-रात काम किया है। हम चाहते हैं कि इन मुसीबतों से आप बाहर निकले और बहुत-एक मात्रा में हम आज उसको कर पाए हैं। डबल इंजन की सरकार आने के बाद, आप तो देखते हैं, बिहार में सड़कें बनने लगीं। हम आज भी बिहार में कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने में जुटे हुए हैं, इससे बिहार की महिलाओं को बहुत सुविधा होनी शुरू हुई है।
माता-बहनों,
इन दिनों बिहार में एक प्रदर्शनी लग रही हैं, और जो 30 साल से छोटी उम्र की माताएं-बहनें हैं ना, मैं उनसे जरूर कहूंगा कि ये प्रदर्शनी आप जरूर देखें। मुझे जो बताया गया है कि इस प्रदर्शनी में पुराने अखबारों की सुर्खियां दिखाई जा रही हैं। हम जब उन्हें पढ़ते हैं और 30 साल के छोटी उम्र के लोगों को तो पता ही नहीं होगा कि कितने बुरे हाल थे। और बूढ़े लोग, बुजुर्ग लोग भी पढ़ेंगे, तो उनको भी लगेगा, उनको याद आता है कि आरजेडी के राज में बिहार में किस तरह का खौफ था, कोई घर सुरक्षित नहीं था। नक्सली हिंसा का आतंक बेलगाम था। और इसका दर्द भी सबसे ज्यादा महिलाओं को सहना पड़ता था। गरीब से लेकर डॉक्टर और IAS का परिवार तक, RJD नेताओं के अत्याचार से कोई नहीं बचा था।
साथियों,
आज जब नीतीश जी के नेतृत्व में कानून का राज लौटा है, तो सबसे ज्यादा राहत मेरी माताओं-बहनों-बेटियों ने, महिलाओं ने महसूस की है। आज बिहार की बेटियां बेखौफ होकर घर से निकलती हैं। अभी मैं चार बहनों को सुन रहा था। जिस प्रकार से बहन रंजीता जी ने, बहन रीता जी ने, नूरजहान बानू ने और हमारी पुतुल देवी जी ने, जिस प्रकार से आत्मविश्वास से बातें बताईं हैं। ये नीतीश जी की सरकार के पहले तो संभव ही नहीं था। उन्हें देर रात में भी कहीं काम करने की सहूलियत संभव ही नहीं थी। मैं जब भी बिहार आता हूं, तो महिला पुलिसकर्मियों की इतनी बड़ी संख्या में तैनाती देखकर मन को बहुत संतोष होता है। इसलिए आज हम सबको मिलकर ये प्रण भी करना है कि बिहार को फिर कभी, ये मेरे शब्द लिखकर रखिए माताएं-बहनें, अब बिहार को फिर कभी उस अंधेरे में नहीं जाने देंगे, अपने बच्चों को बर्बाद होने से बचाने का यही रास्ता है।
माताओं-बहनों,
जब कोई सरकार महिलाओं को केंद्र में रखकर कोई नीति बनाती है, तो उसका फायदा समाज के हर हिस्से को मिलता है, पूरे परिवार को मिलता है। उदाहरण के लिए, उज्ज्वला योजना से कितना बड़ा बदलाव आया है, ये आज पूरी दुनिया देख रही है। एक समय था, जब गांव में गैस का कनेक्शन बहुत बड़ा सपना होता था, शहरों में भी यही हाल होता था। मेरी गरीब माताएं-बहनें-बेटियां रसोई में खांस-खांसकर अपना जीवन गुजार देती थीं। फेफड़ों की बीमारी आम थी, आंखों की रोशनी तक चली जाती थी, और कुछ विद्वान लोग तो कहते हैं कि चूल्हे के धुएं में जो माताएं-बहने रहती है ना लंबे समय तक, तो एक दिन में वो 400 सिगरेट जितना धुआं उनके शरीर में ले जाती हैं। अब बताइए कैंसर नहीं होगा, तो क्या होगा? इन सबको बचाने के लिए हम उज्ज्वला योजना लेकर आए, गैस के सिलेंडर घर-घर पहुंचाए। बिहार में हमारी बहनों का जीवन जलावन ढोने में ही बीत जाता था। और उस पर भी मुश्किलें कम थोड़ी थीं, बरसात आए तो गीली लकड़ी नहीं जलती थी, बाढ़ आए तो जलावन ही डूब जाती थी। कितनी बार घर के बच्चे भूखे सो जाते थे, या फिर भूजा खाकर रात काटते थे।
साथियों,
ये दर्द किसी किताब में नहीं लिखा, ये दर्द बिहार की हमारी बहनों ने जिया है, इस मुसीबत से मेरी एक-एक बहन गुजरी है। लेकिन जब एनडीए सरकार ने बहनों को केंद्र में रखकर सोचना शुरू किया, योजनाएं बनानी शुरू की, तो तस्वीर भी बदलनी शुरू हो गई। एक साथ करोड़ों घरों में गैस कनेक्शन पहुँचा। आज करोड़ों बहनें चैन से चूल्हे पर खाना बना रही हैं। उन्हें धुएं से मुक्ति मिली है, फेफड़ों और आंखों की बीमारी से राहत मिली है। अब घर में बच्चों को हर दिन गरम खाना मिलना शुरू हुआ है। उज्ज्वला के गैस कनेक्शन ने बिहार की रसोई को ही नहीं, महिलाओं की जिंदगी को भी उज्ज्वल बना दिया है।
माताओं-बहनों
आपकी हर परेशानी को दूर करना, ये हमारा दायित्व है। हमने कोरोना के कठिन समय में मुफ्त अनाज की योजना शुरू की थी। क्योंकि मेरा एक लक्ष्य था, कोई बच्चा रात को भूखा नहीं सोना चाहिए। लेकिन इस योजना ने आपकी इतनी मदद की, कि हमने इसे जारी रखने का फैसला किया। आज भी पीएम गरीब कल्याण योजना चल रही है, और इस योजना की वजह से बिहार के साढ़े आठ करोड़ से ज्यादा जरूरतमंदों को मुफ्त राशन मिल रहा है। इस योजना ने आपकी कितनी बड़ी चिंता कम की है। मैं एक और उदाहरण देता हूं। बिहार के एक बड़े क्षेत्र में उसना चावल पसंद किया जाता है। लेकिन पहले हमारी माताओं-बहनों को सरकारी राशन में अरवा चावल दिया जाता था। मजबूरी में माताएं-बहनें बाजार में वही अरवा चावल देकर, उसके बदले उसना चावल लेती थीं। लेकिन बेईमानी देखिए, मुश्किल ये थी कि 20 किलो अरवा चावल के बदले, सिर्फ 10 किलो उसना चावल मिला करता था। हमने इस विषय पर भी गंभीरता से विचार किया। अब सरकार ने राशन में उसना चावल भी देना शुरू कर दिया है।
मेरी माताओं-बहनों,
हमारे यहां महिलाओं के नाम पर संपत्ति होने की परंपरा भी नहीं रही है। घर हो तो पुरुष के नाम पर, दुकान हो पुरुष के नाम पर, जमीन हो पुरुष के नाम पर, गाड़ी हो पुरुष के नाम पर, स्कूटर हो पुरुष के नाम पर, सब कुछ पुरुषों के ही नाम होता था। लेकिन जब मैंने पीएम आवास योजना शुरू की, तो उसमें ये नियम बनाया कि पीएम आवास के घरों की मालकिन मेरी माताएं-बहनें-बेटियां भी होंगी। आज बिहार में 50 लाख से ज्यादा पीएम आवास बने हैं। उसमें से ज्यादातर में महिलाओं का भी नाम है। आप अपने घर की असली मालकिन हैं।
साथियों,
हम सब जानते हैं कि जब किसी बहन का स्वास्थ्य बिगड़ता है, तो उसका असर पूरे परिवार पर पड़ता है। एक समय था, जब महिलाएं बीमारी सहती रहती थीं, वो परिवार में बताती ही नहीं थी, कितनी ही मुसीबत हो, कितना ही बुखार हो, कितना ही पेट में दर्द होता हो, वो काम करती रहती थी। क्यों? क्योंकि वो नहीं चाहती थी कि उनके इलाज में घर के पैसे खर्च हो जाए। बच्चों पर, परिवार पर बोझ आ जाए, इसलिए माताएं-बहनें सहन करती थीं। आपकी इस चिंता का समाधान आपके बेटे ने किया, आयुष्मान भारत योजना से किया। आज बिहार की लाखों महिलाओं को 5 लाख रूपये तक का मुफ्त इलाज मिल रहा है। गर्भवती महिलाओं के लिए जो मातृवंदना योजना चल रही है, उसमें भी माताओं के खाते में सीधे पैसे जा रहे हैं। ताकि उस समय, 9 महीने के उस कालखंड में, वो अच्छा पोषण ले सके, ताकि पेट में जो बच्चा पल रहा है, उसका स्वास्थ्य भी ठीक हो और प्रसुता में कोई संकट ना आ जाए, मां या बच्ची की जिंदगी बच जाए।
मेरी माताओं-बहनों,
आपका स्वास्थ्य, ये हमारी प्राथमिकता है। हमने महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच के लिए 17 सितंबर से ही, विश्वकर्मा जयंती से ही एक बड़ा अभियान शुरू किया है। इसका नाम है 'स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान'। इस अभियान के सवा चार लाख से अधिक स्वास्थ्य शिविर गांव-गांव और कस्बों में लगाए जा रहे हैं। खून की कमी, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की जांच की जा रही है। इस अभियान से जुड़कर अब तक 1 करोड़ से ज्यादा महिलाएं अपनी मुफ्त जांच करवा चुकी हैं। मैं आज बिहार की सभी महिलाओं से आग्रह करूंगा कि इन कैंपों में जरूर जाएं, अपनी जांच जरूर कराएं। कुछ लोगों को भ्रम होता है, जांच करानी नहीं चाहिए। बीमारी का पता चलने से फायदा होता है, नुकसान नहीं होता है। इसलिए जांच करवानी चाहिए।
साथियों,
इस समय त्योहारों का मौसम है, नवरात्रि चल रहे हैं। दिवाली आने वाली है, और छठ पूजा भी बहुत दूर नहीं है। घर चलाने के लिए पैसा कैसे खर्च हो? कैसे बचाया जाए, इस पर हमारी बहनें दिन-रात सोचती रहती हैं। आपकी इसी चिंता को कम करने के लिए एनडीए की सरकार ने बहुत बड़ा कदम उठाया है। 22 सितंबर से, नवरात्रि के पहले दिन से ही पूरे देश में जीएसटी की दरें घटा दी गई हैं। अब रोज इस्तेमाल की जाने वाली चीजें जैसे दंत मंजन, साबुन, शैंपू, घी और खाने-पीने की चीजें, ये सारे सामान पहले से सस्ते मिलेंगे। बच्चों की पढ़ाई के लिए स्टेशनरी, त्योहारों में पहनने के लिए कपड़े और जूते, इनकी कीमत भी कम हो गई है। घर और रसोई का बजट चलाने वाली महिलाओं के लिए ये बहुत बड़ी राहत है। बहनों के बोझ को हल्का करना, उनके चेहरे पर त्यौहार की खुशी बढ़ाना, डबल इंजन की सरकार इसे अपना दायित्व समझती है।
साथियों,
बिहार की महिलाओं को जब भी अवसर मिला है, उन्होंने अपनी हिम्मत और संकल्प से बड़े-बड़े बदलाव किए हैं। आपने साबित किया है कि जब महिला आगे बढ़ती है, तो पूरा समाज आगे बढ़ता है। मैं एक बार फिर बिहार के लोगों को मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आप सबको मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
बहुत-बहुत धन्यवाद।